नई दिल्ली। तिब्बत के लंबे समय से मित्र संदेश मेश्राम उर्फ समतेन येशी वर्तमान में कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़- इंडिया (सीजीटीसी-आई) के क्षेत्रीय संयोजकों में से एक के रूप में कार्यरत हैं और भारत-तिब्बत मैत्री संघ (आईटीएफएस) के सदस्य भी हैं। नागपुर में रहनेवाले श्री मेश्राम ने ने ‘फ्री तिब्बत, सेव इंडिया (तिब्बत मुक्त करो, भारत बचाओ)’ संदेश के साथ पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से ०५ नवंबर, २०२३ को अपनी पांचवीं जनजागरण साइकिल यात्रा की शुरुआत की। इस यात्रा में तिब्बती पर्यावरणविद् और परोपकारी कर्मा समद्रूप की रिहाई के लिए अभियान भी शामिल है।
यात्रा का शुभारंभ कार्यक्रम कोलकाता के बौद्ध मठ में आयोजित किया गया था, जिसमें तिब्बत समर्थक और पूर्व सीजीटीसी-आई सदस्य एडवोकेट रूबी मुखर्जी भी शामिल हुई थीं। शामिल लोगों में स्थानीय भारतीय समर्थक और कोलकाता में तिब्बती समुदाय के सदस्य, जिनमें तिब्बती स्वेटर विक्रेता संघ के सदस्य भी शामिल हैं। संदेश मेश्राम ने सदस्यों को अपनी जनजागरण साइकिल यात्रा और तिब्बत के हित के लिए इसके महत्व के बारे में जानकारी दी। भगवान बुद्ध का आशीर्वाद लेते हुए उन्होंने अपनी जनजागरण साइकिल यात्रा शुरू की। इसके पहले सदस्यों ने उन्हें खटक भेंट की और कृतज्ञता ज्ञापन के साथ उनका स्वागत किया और उनके अच्छे स्वास्थ्य और सफल यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं। पांचवीं जनजागरण साइकिल यात्रा पश्चिम बंगाल के कोलकाता से शुरू होकर पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के शहरों और कस्बों से लगभग २५०० किलोमीटर की दूरी तय करते हुए राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में १० दिसंबर, २०२३ को समाप्त होगी।
साइकिल यात्रा का मुख्य उद्देश्य तिब्बत और कम्युनिस्ट चीनी शासन की दमनकारी नीतियों के तहत तिब्बत के अंदर व्याप्त गंभीर स्थिति के बारे में आम भारतीय जनता के बीच जागरुकता पैदा करना है। यह साइकिल यात्रा तिब्बती पर्यावरणविद् और परोपकारी कर्मा समद्रुप की रिहाई के लिए भी अभियान चला रही है, जिन्हें चीनी अधिकारियों ने झूठे आरोपों में १५ साल जेल की सजा सुनाई है। अभियान में उन सभी तिब्बती राजनीतिक कैदियों की रिहाई का भी आह्वान किया गया है जिन्हें झूठी सजा सुनाई गई है और जेलों में प्रताड़ित किया जा रहा है।
इससे पहले श्री मेश्राम इस तरह की चार साइकिल यात्राएं आयोजित कर चुके हैं। पहली साइकिल यात्रा २०१४ में नागपुर से ‘तिब्बत बचाओ साइकिल अभियान’ शीर्षक से हुई थी। इस यात्रा में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों से गुजरते हुए ४००० किलोमीटर की दूरी तय की गई थी। इसके बाद २०१६ में उनकी दूसरी साइकिल यात्रा ‘तिब्बत को बचाने के लिए साइकिल रैली’ शीर्षक से नागपुर से शुरू हुई, जो मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश से १२०० किलोमीटर की दूरी तय करते हुए गुजरी और बिहार के बोधगया पहुंची।
तीसरी साइकिल यात्रा २०१७ में २० अक्तूबर को बोधगया से चीन-भारत युद्ध को यादगार बनाने के लिए सिक्किम के नाथू-ला दर्रा तक १२७० किलोमीटर तक हुई थी। यात्रा के बीच में उनकी स्वास्थ्य समस्या के कारण चौथी साइकिल यात्रा दो चरणों में करनी पड़ी। पहले चरण में दिसंबर २०१९ से फरवरी २०२० तक हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से कर्नाटक के मुंडगोड तक लगभग ७५०० किलोमीटर की दूरी तय की गई थी। दूसरा चरण कर्नाटक के मुंडगोड से कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु तक १० दिसंबर २०२१ से १० जनवरी, २०२२ तक लगभग २००० किलोमीटर की दूरी तय करते हुए संपन्न हुआ था। यह यात्रा उत्तर कन्नड, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी के प्रमुख शहरों, कस्बों और गांवों से होकर गुजरा था।
इस रिपोर्ट को लिखने तक संदेश मेश्राम ने पश्चिम बंगाल के खड़गपुर और नयाग्राम और झारखंड के जमशेदपुर और बुंडू में रुकते हुए पांच दिनों में ९२ किलोमीटर की दूरी तय कर ली थी।