बरेली (ब्यूरो) । बरेली शाखा के अध्यक्ष पद से बोलते हुए प्रदीप कुमार रावत ने कहा कि जैसा कि ज्ञात हुआ कि चीनी निवासी हुं जियावों जो कि एक राजनैतिक असंतुष्ट है और चीनी सरकार की जेल में कैद है जिन्हें नोबल कमेटी द्वारा वर्ष 2010 का नोबल पीस प्राईज अर्थात नोबल शांति पुरस्कार दिया जा रहा है यह पुरुस्कार उन्हें चीन की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध बोलने और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए दिया जा रहा है साथ ही यह भी विचारणीय है कि अगले वर्ष 10 दिसम्बर 2011 को यही नोबल शांति पुरुस्कार तिब्बति धर्म गुरु पवित्र दलाई लामा को भी नोबल शांति पुरुस्कार की 21 वीं वर्ष गांठ के अवसर पर दिया जाना नोबल पुरुस्कार कमेटी द्वारा प्रस्तावित है । लेकिन इन दिनों ही निर्णयों के विरुद्ध चीनी सरकार विशबमन कर रही है उन्होंने कहा जैसा कि सभी को ज्ञात है कि चीन सरकार का रवैया तिब्बत राज्य के लिए हमेश वैमनस्यपूर्ण रहा है और चीन तिब्बत को अपने राज्य में मिलना चाहता है तथा एक अत्रांता की भांति वहां की प्रजा के साथ व्यवहार करता चला आ रहा है और गुलामों की दृष्टि से उन्हें देखता है धीरे -चीन ने विकास के नाम पर अनेकों चीनी योजनायों तिब्बत राज्य में लागू कर दी है और सैन्यबल भी तैनात कर दिया है जो कि न केवल अर्न्तराष्ट्रीय दृष्टिकोण से एक
वैश्र्विक खतरा है । सभा में अध्यक्ष प्रदीप कुमार रावत , डा .ए के मिश्रा व सुधाकार तिवारी के अतिरिक्त श्रीमती साधना मिश्रा ,देवेन्द्र कुमार रावत , भूपेन्द्र नाथ वर्मा , श्रीमती नीलिमा रावत, श्रीमती रतावर्मा , अजय शर्मा , पुनीत वर्मा , आदि ने भी चीन द्वारा तिब्बतीय जनता के मानवाधिकारों के हनन पर चिन्ता व्यक्त की और तिब्बत बचाओं कैलास मानसरोबर चीन से मुक्त कराओं की आवाज बुलन्द की ।
तिब्बत मंत्री संघ ने मानवाधिकार दिवस मनाया ।
विशेष पोस्ट
संबंधित पोस्ट