तिब्बत पर नई ऑनलाइन साप्ताहिक संवाद शृंखला शुरू करने पर डीआईआईआर कलोन ने भारत-तिब्बत सहयोग मंच को बधाई दी
tibet.net / धर्मशाला। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग (डीआईआईआर) की कलोन नोरज़िन डोल्मा ने तिब्बत पर नई ऑनलाइन साप्ताहिक संवाद शृंखला शुरू करने पर भारत के सबसे बड़े तिब्बत समर्थक समूहों में से एक- भारत-तिब्बत सहयोग मंच (बीटीएसएम) को बधाई दी। तिब्बत पर ऑनलाइन संवाद शृंखला २९ जनवरी २०२२ को शुरू की गई थी।
ऑनलाइन संवाद शृंखला के वर्चुअल लॉच में भाग लेने वाली डीआईआईआर की कलोन नोरज़िन डोल्मा ने कहा, ‘नमस्ते। माननीय सिक्योंग श्री पेनपा त्सेरिंग और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की ओर से मैं आज यहां भारत-तिब्बत सहयोग मंच (बीटीएसएम) के सभी सदस्यों को कल से यानी २९ जनवरी २०२२ से तिब्बत पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संवाद की इस ऑनलाइन साप्ताहिक शृंखला को शुरू करने की अविश्वसनीय पहल के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं व्यक्त करने आई हूं।
उन्होंने कहा, ‘पूरे भारत के २५० से अधिक चैप्टर वाले तिब्बत समर्थक समूहों में से एक प्रमुख- भारत- तिब्बत सहयोग मंच- ने १९९९ में अपनी स्थापना के बाद से एक संगठन के रूप में भारत में विरोध मार्च से लेकर कार्यक्रमों, अभियानों तक की विभिन्न गतिविधियों के साथ तिब्बत के मुद्दे को सक्रिय रूप से उठाया और सशक्त बनाया है।’
अपने संबोधन का समापन करते हुए कलोन ने कहा, ‘आज तिब्बत जन जागरूकता अभियान के हिस्से के रूप में तिब्बत पर ऑनलाइन संवाद शृंखला शुरू करने की यह पहल न केवल समय पर बल्कि तिब्बत के अंदर चीन के कब्जे और दमन की वास्तविकता को उजागर करने के लिए, चीन के जनवादी गणराज्य से वास्तविक स्वायत्तता की मांग करने वाली आधिकारिक मध्यम मार्ग नीति को मान्यता देने और चीनी सरकार पर चीन-तिब्बत वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए दबाव डालने के लिए भी प्रासंगिक है। इतने सालों में आपके समर्थन के लिए मैं आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूं और इस नई पहल के लिए आप सभी को शुभकामनाएं देती हूं। जय भारत, जय तिब्बत।’
संगठन के आधिकारिक फेसबुक पेज के अनुसार, साप्ताहिक ऑनलाइन संवाद शृंखला तिब्बत जन जागरूकता अभियान के हिस्से के रूप में ‘तिब्बत: वर्तमान परिदृश्य और भविष्य’ विषय पर केंद्रित होगी। इसमें यह भी कहा गया है कि ऑनलाइन संवाद शृंखला का मुख्य उद्देश्य तिब्बत की मुक्ति और पवित्र कैलाश-मानसरोवर की मुक्ति के साथ-साथ मानवता की रक्षा के लिए एक बड़े सामाजिक जागरण का निर्माण करना है।’