जागरण, 1 सितम्बर, 2012
वाशिंगटन। तिब्बत के एक निर्वासित राजनयिक ने अमेरिका से अपील की है कि वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की आगामी बैठक में तिब्बत में चीनी दमन के खिलाफ सार्थक कार्रवाई का दबाव बनाए। इस बीच, प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को चीन की खराब नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। वे मुख्य रूप से तिब्बत की आजादी और दलाई लामा की वापसी की मांग कर रहे थे।
दो सितंबर को वाशिंगटन में होने वाली फ्लेम ऑफ ट्रूथ रिले से पहले अपने लेख में निर्वासित तिब्बती सरकार के सदस्य थाशी एन खामशितांग ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और हिलेरी क्लिंटन को कहा कि चीन कैसे तिब्बत में अपनी दमनकारी नीति अपना रहा है। उन्होंने आगे कहा कि तिब्बत में तिब्बतियों पर चीन द्वारा जो अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है वह असहनीय व घोर पीड़ादायक है। चीन के ये अमानवीय कृत्य असहनीय है और इनपर रोक लगनी चाहिए। अमेरिका को आगे बढ़कर इस तरह के कृत्यों की निंदा करनी चाहिए और इसके लिए खिलाफ मानवाधिकार परिषद में कार्रवाई करने का दबाव बनाना चाहिए। तिब्बती युवा इन मुद्दों पर अमेरिका से स्पष्ट जवाब चाहता है।
उल्लेखनीय है कि तिब्बत मामले पर जांच पर भी अमेरिका ने रोक लगा रखी है। थाशी ने आशा व्यक्त की कि अमेरिकी मानवाधिकार अधिकारी नवी पिल्लै चीन दौरे पर तिब्बत मामले की जानकारी लेंगे कि वास्तविक स्थिति क्या है।