दैनिक जागरण, 7 फ़रवरी 2016
जागरण संवाददाता, जम्मू: राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ के केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि तिब्बत चीन का हिस्सा नहीं है। इस बात को मानने की जरुरत है। वहीं, पूर्व उप-मुख्यमंत्री डा0 निर्मल सिंह ने भी चीन को 1949 वाला चीन न बताकर उसी अनुरुप अपनी नीति बनाने पर जोर दिया।
शनिवार को लददाख फांदे छोकस्पा की ओर से हिमालय की सुरक्षा में राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय भूमिका विषय पर आयोजित सेमिनार में इंद्रेश कुमार ने कहा कि लोगों का मत तो यही है। जब कभी राजनेताओं में भी ऐसी ताकत आ जाएगी तो वे भी एक दिन जरुर बोलेंगे कि तिब्बत चीन का हिस्सा नहीं है। भारत की बड़ी भूल थी, जिसने कभी तिब्बत को चीन का हिस्सा कहने में सहमति जता दी थी। आज हमें माहौल तैयार करना होगा। तिब्बत के लोगों की पीड़ा को भी समझते हुए उनकी सहायता के लिए आगे आना होगा। उन्होंने चीन को नहीं, बलिक तिब्बत को देश का प्राकृतिक पड़ोसी बताया और कहा कि हम पुराने मित्र रहे हैं और सीमा पर संयुक्त चौकसी करते रहे है।
वहीं, दूसरी और हिमालय के सीमांत में चीन द्वारा बढ़ार्इ जा रही ताकत पर इंद्रेश कुमार जमकर बरसे। उन्होंने केंद्र सरकार को चेताते हुए कहा कि चीन को समझने में भूल न की जाए। बार्डर पर विकास के नाम पर चीन महज अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है, इसे समझने की जरूरत है। इंद्रेश कुमार ने कहा कि सीमा पर चीन ने 16 हजार लोगों के लिए 4500 किलोमिटर लंबा मार्ग बनाया और वहां दो लाख सेना की नफरी लगा दी। इसका मतलब समझा जाए। दोस्ती के नाम पर चीनी सैनिक हमारे क्षेत्र में घुस आते हैं और अपने झंडे लगाते हैं और इसे सैन्य एक्सरसाइज बताया जाता है। वहीं, ऐसी मिसाइलें तैनात कर रखी हैं, जिसकी मार देश और उसके बाहर तक है। यह दोस्ती के संकेत नहीं। हिमालय क्षेत्र में सौंदर्य बढ़ाने व विकास करने के रूप में छिपे चीनी राक्षस को पहचानने की जरूरत है।
वहीं, पूर्व उप-मुख्यमंत्री डा0 निर्मल सिंह ने कहा कि चीन अब 1949 वाला चीन नहीं रहा। देश को उसी अनुरूप अपनी नीति बनानी चाहिए। उन्होंने सीमा पर आइटीबीपी को मजबूत करने, पोस्टें बढ़ाने, सीमापर स्मार्ट सिटी की तरह स्मार्ट विपेज बनाने पर बल दिया। अंत में बि्रगेडियर सेचेत सिंह ने आए हुए मेहमानों का आभार व्यक्त किया।
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