दैनिक जागरण, 14 दिसंबर, 2018
बीजिंग, प्रेट्र। तिब्बत को लेकर अमेरिका की संसद से पारित हुए एक बिल से चीन भड़क गया है। उसने इस पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि अमेरिकी कदम तथ्यों की अवहेलना और चीन के आंतरिक मामलों में दखल है। यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन भी है। अमेरिका इस बिल को कानून का रूप नहीं दे। अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट से बीते मंगलवार को पारित हुए बिल में चीन के उन अधिकारियों के वीजा पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है जो अमेरिकी नागरिकों, अधिकारियों और पत्रकारों को तिब्बत जाने की अनुमति नहीं देते। इस बिल पर संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने सितंबर में ही मुहर लगा दी थी। बिल पर अभी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हस्ताक्षर होना बाकी हैं। उनके हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा।
अमेरिकी कदम पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने शुक्रवार को यहां कहा, ‘चीन इसका पुरजोर विरोध करता है। मैं यह ध्यान दिलाना चाहता हूं कि तिब्बत का मामला चीन का आंतरिक मसला है और इसमें किसी विदेशी दखल की इजाजत नहीं है।’ संसद से सर्वसम्मति से पारित किए गए ‘द रेसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत एक्ट’ बिल में अमेरिकी नागरिकों, पत्रकारों और अधिकारियों के तिब्बत में निर्वाध आवागमन की मांग की गई है। यह बिल ऐसे समय पारित किया गया है जब ट्रंप प्रशासन और चीन के बीच कारोबारी तनातनी चल रही है।
40 हजार अमेरिकियों ने किया तिब्बत का दौरा
कांग ने कहा कि सामान्य तरीके से आवेदन कर विदेशी तिब्बत जा सकते हैं। साल 2015 से लेकर अब तक अमेरिकी सांसदों और कारोबारियों समेत करीब 40 हजार अमेरिकी नागरिकों ने तिब्बत का दौरा किया है।
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