tibet.net / धर्मशाला। तिब्बत टाइम्स के अनुसार, चीनी अधिकारियों ने तिब्बत के सोंगोन प्रान्त (चीनी: किंघई प्रांत) में दो मठों से लगभग ८० तिब्बती भिक्षुओं को जबरन निष्कासित कर दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, २१ और २२ अक्तूबर २०२१ को, किंघई प्रांत के बायन काउंटी (चीनी: हुआलोंग) में जकयुंग मठ के ३० भिक्षुओं और डित्सा मठ के ५० भिक्षुओं को पुलिस छापे के बाद निष्कासित कर दिया गया और उनके घरों में वापस भेज दिया गया।
अधिकारियों ने मठों पर उस कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है, जिसके तहत १८ वर्ष से कम उम्र के किसी भी नाबालिग को भिक्षु बनने के लिए मठों में दाखिला लेने से रोकता है। उनका कहना हैकि इन नाबालिगों को स्कूलों में भेजा जाना चाहिए।
चीनी अधिकारियों ने कथित तौर पर निष्कासित भिक्षुओं को निर्देश दिया है कि वे भविष्य में फिर से भिक्षुओं के वस्त्र पहनने स्कूल जाने से बचने से परहेज करें।
चीनी अधिकारी तिब्बत के अन्य मठों में भी इसी तरह के निष्कासन अभियान चला रहे हैं ताकि उनके अंदर अध्ययन करने वाले भिक्षुओं की संख्या को कम किया जा सके।
तिब्बती बौद्ध मठ और संस्थान न केवल तिब्बती बौद्ध धर्म, संस्कृति और पहचान के प्रतीक हैं, बल्कि इससे भी अधिक सदियों से यह वह स्थान है, जहाँ तिब्बती बौद्ध धर्म का संरक्षण और समृद्धि हुई है। इन भिक्षुओं को मठों से बाहर निकालकर चीनी अधिकारियों ने जान-बूझकर उन्हें धर्म और विश्वास की स्वतंत्रता से वंचित कर दिया और तिब्बती बौद्ध धर्म और सांस्कृतिक ज्ञान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में बाधा डाली।
यह तिब्बती बौद्ध धर्म की साधना पर चीन के हमले से स्पष्ट संकेत है कि मठों को भविष्य में भिक्षुओं और भिक्षुणियों की कमी का सामना करना पड़ सकता है।