दैनिक जागरण, 7 जुलाई २०१२
मुजफ्फरपुर, हसं : तिब्बत का सवाल सिर्फ तिब्बत वासियों के लिए नहीं वरन भारतवासियों के लिए भी है। इस मामले पर भारत सरकार को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। परमपावन दलाई लामा गांधीजी के सत्य अहिंसा का रास्ता अपना कर तिब्बत आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। यह आंदोलन सफल होकर रहेगा। उक्त बातें वरिष्ठ गांधीवादी विचारक लक्ष्मणदेव सिंह ने कहीं। सिंह शुक्रवार को भारत-तिब्बत मैत्री संघ द्वारा दलाई लामा के 77 वें जन्म दिवस पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। एसकेजे लॉ कॉलेज सभाकक्ष में आयाजित इस सेमिनार की अध्यक्षता प्रो.राजनारायण राय ने तथा संचालन प्रो. विकास नारायण उपाध्याय ने किया। अतिथियों का स्वागत संघ के सचिव अरविंद वरुण ने किया।
सेमिनार में विषय प्रवेश कराते हुए डा.अरुण कुमार सिंह ने कहा कि तिब्बत संतति के समूल नष्ट करने का चीन अभियान चला रहा है। दुनिया बोल रही है, लेकिन भारत सरकार चुप है। डा. अनिल कुमार ओझा ने तिब्बत के इतिहास की चर्चा करते हुए इसकी स्वायत्तता के लिए भारत की सार्थक पहल करने की जरूरत बताई। डा.हरेन्द्र कुमार ने आज की युवा पीढ़ी को तिब्बत के संबंध में जानकारी देने की जरूरत बताई। सेमिनार में दलाई लामा को भारत रत्न देने व संसद के संबोधन के लिए आमंत्रित करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
सेमिनार को डा.ब्रजेश कुमार शर्मा, शारदानंद झा, शाहिद कमाल, डा.संजय सुमन, मधु मंगल ठाकुर, डा. कृष्णमोहन कुमार, विश्वबंधु, डीके विद्यार्थी, विनय प्रशांत, कामता प्रताप, दिनेश कुमार, साकेत कुमार,बच्चा प्रसाद सिंह, सुमित प्रकाश, मो. महफिल आलम व बिट्टू कुमार ने संबोधित किया।