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वाशिंगटन डीसी। निर्वासित तिब्बती संसद द्वारा आयोजित तिब्बत पर आठवां विश्व सांसद सम्मेलन २३ जून २०२२ को तिब्बत के लिए अंतरराष्ट्रीय सांसदों के नेटवर्क (आईएनपीएटी) के सफल पुनरुद्धार,वाशिंगटन घोषणा और वाशिंगटन कार्य योजना को पारित करने के साथ संपन्न हो गया।
तिब्बत पर विधि निर्माताओं के दो दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन ताइवान के सांसद और समाज कल्याण और पर्यावरण स्वच्छता समिति के सदस्य हंग सुन-हानऔर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन में तिब्बत नीति संस्थान के पर्यावरण और विकास डेस्क के रिसर्च फेलो डेचेन पाल्मो ने ‘ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन में एशिया और तिब्बत के महत्व’पर बात की। तिब्बती सांसद तेनजिंग जिग्मे ने इस सत्र की अध्यक्षता की।
भारतीय लोकसभा सदस्य और पूर्व भारतीय विदेश राज्य मंत्री डॉ. शशि थरूर, कनाडा के सांसद और कनाडा के तिब्बत संसदीय मित्र (पीएफटी) के अध्यक्ष आरिफ विरानी, अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रोफेसर और क्रेधा के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. माइकल वैन वॉल्ट प्रागऔर सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ़ हांगकांग के सेवानिवृत्त चेयर प्रोफेसर प्रो. मान-शियांग लाउने एक पैनल चर्चा में ‘तिब्बत पर कथाएं: परिवर्तन की आवश्यकता’ पर बात की। इस बैठक की अध्यक्षता सीटीए के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग (डीआईआईआर) के कालोन नोरज़िन डोल्मा ने की।
अल सल्वाडोर की संसद सदस्य जॉन टेनेंट राइट सोल की अध्यक्षता में कई देशों के अनेक सांसदों ने पैनल चर्चा के दौरान ‘समान विचारधारा वाले देशों के बीच अनुभव, सहयोग, नेटवर्किंग और कार्य योजनाओं को साझा करने’पर अपने विचार साझा किए। स्विट्जरलैंड से संसद सदस्य और स्विट्जरलैंड के तिब्बत संसदीय समूह के सह-अध्यक्ष निकोलस वाल्डर, स्विट्जरलैंड से संसद सदस्य और तिब्बत के लिए स्विस संसदीय समूह के सदस्य बलथासर ग्लैटली, तिब्बत के लिए स्कॉटिश पार्लियामेंट सर्वदलीय समूह के सदस्य स्कॉटलैंड से संसद सदस्य कोलेट स्टीवेन्सन,; लिथुआनिया से सांसद लाईमा लिउसिजा एंड्रिकिएन; ब्रिटेन के संसद सदस्य टिम लॉटन और क्रिस लॉ, इंग्लैंड में तिब्बत के लिए सर्वदलीय संसदीय समूह के सह-अध्यक्ष सांसद सर इयान डंकन स्मिथ, डेनमार्क से सांसद और आईपीएसीके सह-संस्थापकउफ्फे एल्बेक,भारतीय सांसद और तिब्बत के लिए सर्वदलीय भारतीय संसदीय मंच के संयोजक सुजीत कुमारऔर जर्मन पार्लियामेंट्री फ्रेंड्स ऑफ तिब्बत के अध्यक्ष जर्मन सांसद माइकल ब्रैंडने इस पर अपनी टिप्पणी दीं।
कनाडा के सांसद और कनाडा के पॉर्लियामेंटरी फ्रेंड्स ऑफ तिब्बत के उपाध्यक्ष जेम्स मैलोनी, कोस्टा रिका के सांसद ग्लोरिया नवास मोंटेरो,मेक्सिको के संसद सदस्य सल्वाडोर कारो कैबरेरा,स्पेन के सांसद रॉबर्ट मसीह नाहरऔर चेक गणराज्य के सांसद मारेक हिल्सर ने ‘समान विचारधारा वाले देशों के बीच अनुभव, सहयोग, नेटवर्किंग और कार्य योजनाओं को साझा करने’पर बात की।इसके बाद सांसदों के बीच चर्चा हुई।
एकसमान चुनौतियों का सामना करने के लिए ‘कॉमन ग्राउंड’ पर पैनल चर्चा के दौरान ताइवान के सांसद त्शिओंग-त्सो लिम,विश्व उग्यूर कांग्रेस के अध्यक्ष डोलकुन ईसा,हांगकांग लोकतंत्र परिषद श्री जेफरी न्गो और चीन संवाद के अध्यक्ष वांग डैन ने इस विषय पर बात की। सत्र की अध्यक्षता तिब्बती सांसद तेनजिन जिगदल ने की।
सम्मेलन के समापन के अवसर पर डिप्टी स्पीकर डोल्मा छेरिंग तेखांग ने औपचारिक रूप से तिब्बत पर अंतरराष्ट्रीय सांसदों के नेटवर्क (आईएनपीएटी) के पुनरुद्धार की घोषणा की और प्रतिभागी सांसदों की उपस्थिति में अपनी आधिकारिक वेबसाइट (www.inpat.org) लॉन्च की।
इसके बादक्रेधा के कार्यकारी अध्यक्ष और सैन फ्रांसिस्को में गोल्डन गेट यूनिवर्सिटी लॉ स्कूल के सोमपोंग सुचरितकुल सेंटर फॉर एडवांस्ड इंटरनेशनल लीगल स्टडीज में सीनियर फेलो प्रो. माइकल वैन वॉल्ट प्राग ने मसौदा समिति के अन्य सदस्यों के साथवाशिंगटन डीसी घोषणा और वाशिंगटन कार्य योजना प्रस्तुत की जिसे बाद में उचित विचार-विमर्श के बाद पारित कर दिया गया था। अल सल्वाडोर, चिली और मैक्सिको के लैटिन अमेरिकी सांसदों की एक संयुक्त घोषणा को अल सल्वाडोर के संसद सदस्य जॉन टेनेंट राइट सोल ने पढ़ा।
अंत में, निर्वासित तिब्बती संसद की उपाध्यक्ष डोल्मा छेरिंग तेखांग ने सम्मेलन में आए सांसदों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया और उनका आभार माना। इन सांसदों की सम्मेलन में उपस्थिति ने बीजिंग को एक मजबूत संदेश दिया है। साथ ही इससे तिब्बत के अंदर तिब्बतियों का मनोबल भी बढ़ेगा।
चीन से फैलने वाले कोविड -१९ के उदाहरण से चीनी कम्युनिस्ट सरकार की धोखेबाजी को समझाते हुए तिब्बती संसद की उपाध्यक्ष ने चेतावनी दी और जोर देकर कहा कि शी जिनपिंग जैसी विस्तारवादी मानसिकता के साथ सत्ता पर काबिज नेताओं से स्वतंत्र दुनिया में रहने वाले लोगों द्वारा उपभोग की जा रही स्वतंत्रता, मुक्ति और मानवाधिकारों जैसे अधिकारों की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।
कम्युनिस्ट शासन के तहत दबाए जा रहे चीनी नागरिकों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि चीन के आम लोगों को वहां के कम्युनिस्ट नेतृत्व द्वारा तिब्बती लोगों की तरह ही उत्पीड़ित किया जाता है। डिप्टी स्पीकर ने अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में आम पीड़ा को प्रसारित करने के लिए उग्यूर, हांगकांग, ताइवान, आंतरिक मंगोलियाई और अन्य समान विचारधारा वाले लोगों को आपस में जुड़े रहकर सामूहिक प्रयास करते रहने का आह्वान किया।
उन्होंने सम्मेलन में आए सांसदों, आयोजन समिति, आईसीटी, सिक्योंग के नेतृत्व वाले कशाग, डीआईआईआर कालोन, तिब्बत के कार्यालयों, एनईडी, एनडीआई, मसौदा समिति और अन्य सभी को सम्मेलन के आयोजन में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए धन्यवाद देते हुए अपने संबोधन का समापन किया।
इससे पहले दिनमें तिब्बती निर्वासित संसद की डिप्टी स्पीकर डोल्मा छेरिंग तेखांग के नेतृत्व में एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी राजधानी में तिब्बत को लेकर अमेरिकी कांग्रेस की ‘चीन पर कांग्रेस-कार्यकारी आयोग (सीईसीसी)’ द्वारा आयोजित ‘तिब्बत: एक अनसुलझे संघर्ष को सुलझाने में आ रही बाधाएं’ विषय की सुनवाई में भाग लिया। इस प्रतिनिधिमंडल में सांसद कुंगा सोटोप, सांसद खेंपो काडा नेगडुप सोनम, सांसद गेशे ल्हारम्पा गोवो लोबसंग फेंडे, सांसद मिग्युर दोर्जी, सांसद गेशे एटोंग रिनचेन ग्यालत्सेन,सांसद छेरिंग डोल्मा, सांसद चोएडक ग्यात्सो के अलावा आठवें डब्ल्यूपीसीटी के कुछ अन्य प्रतिभागी भी शामिल थे। निर्वासित तिब्बती संसद द्वारा आयोजित यह सम्मेलन डब्ल्यूपीसीटी के पिछले सात सत्रों की निरंतरता में था। इसका उद्देश्य तिब्बत मुद्दे को हल करने के लिए विभिन्न देशों के सांसदों के समर्थन को मजबूत और समन्वित करना रहा है। पहला डब्ल्यूपीसीटी१९९४ में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। इसमें चीन के आक्रमण और तिब्बत पर कब्जे के बाद तिब्बती पहचान और अस्तित्व के लिए भारत द्वारा निभाई गई भूमिका का सम्मान किया गया था। इसके बाद के सम्मेलन १९९५ में लिथुआनिया के विनियस, १९९७ में अमेरिका के वाशिंगटन डी.सी.,२००५ में स्कॉटलैंड (यू.के.) के एडिनबर्ग,२००९ में इटली के रोम, २०१२ में कनाडा के ओटावा, और २०१९ में लातविया के रीगा में आयोजित किए गए।
तिब्बत पर विश्व सांसद सम्मेलन आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य सांसदों द्वारा तिब्बती पहचान और इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के अस्तित्व के सवालपर अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाना है। तिब्बत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासतमें अधिक शांतिपूर्ण दुनिया में योगदान करने की क्षमता है। इसी तरह, सांसदों को तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन और धार्मिक दमन पर चिंता व्यक्त करने में विश्व नेताओं के साथ शामिल होना चाहिए और बातचीत से तिब्बत मुद्दे के समाधान के लिए परम पावन दलाई लामा के दूतों और चीनी प्रतिनिधियों के बीच बातचीत की जल्द बहाली के पक्ष में अपने-अपने देशों की ओर से पहल करने पर विचार करना चाहिए।