tibet.net / रोम।तिब्बत के लिए नवगठित इतालवी संसदीय इंटरग्रुप का शुभारंभ तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की पूर्व संध्या पर ०९ मार्च २०२३ को इतालवी सीनेट हॉल में होगा। तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की ६४वीं वर्षगांठ मनाने के लिए रोम में १० मार्च को आयोजित होने वाले ‘यूरोप स्टैंड्स विद तिब्बत’विरोध मार्च की घोषणा करने के साथ-साथ इंटरग्रुप के शुभारंभ की घोषणा करने के लिए सीनेट में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।
इंटरग्रुप के शुभारंभ की घोषणा के लिए ०८ मार्च को प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि निर्वासित तिब्बती संसद की उपाध्यक्ष डोल्मा छेरिंग तेखंग, तिब्बत ब्यूरो जिनेवा में परम पावन दलाई लामा के प्रतिनिधि थिनले चुक्की, यूरोप से निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य थुप्टेन ग्यात्सो के साथ इंटरग्रुप के को-ऑर्डिनेटर सीनेटर डी. प्रामो एंड्रिया और इंटरग्रुप के सदस्य सीनेटर टेर्ज़ी डी. संत अगाटा गिउलिओ, चैंबर ऑफ डिप्टी के सदस्य मालावासी इलेनिया, सीनेटर डोमेनिका स्पिनेली और इंटरग्रुप के पूर्व समन्वयक लुसियानो नोबिली उपस्थित थे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इटालिया-तिब्बत एसोसिएशन के अध्यक्ष क्लाउडियो कार्डेली और इटली के तिब्बती समुदाय के अध्यक्ष छेतेन बर्गामो ने सभा का स्वागत किया। इंटरग्रुप की को-ऑर्डिनेटर सीनेटर डी. प्रामो एंड्रिया ने इंटरग्रुप के महत्व का उल्लेख किया और पूर्व के इंटरग्रुप के कार्यों को आगे बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने तिब्बत पर महत्वपूर्ण प्रस्तावों के पारित होने के साथ-साथ संसद में तिब्बत की स्थिति को उजागर करने की दिशा में काम करने की प्रतिबद्धता जताई। इंटरग्रुप के सदस्य सीनेटर टेरी डी. संत अगाटा गिउलिओ, माननीया मालवसी इलेनिया और इंटरग्रुप के पूर्व समन्वयक लुसियानो नोबिली ने भी प्रतिबद्धता दोहराई और चीनी सरकार के शासन के तहत तिब्बत के अंदर मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति के बारे में विस्तार से बात की।
प्रतिनिधि थिनले चुक्की ने उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया और तिब्बत के लिए इतालवी संसदीय इंटरग्रुप के सफल गठन पर सांसदों को बधाई दी। तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस और तिब्बत की वर्तमान स्थिति का संक्षिप्त विवरण देते हुए उन्होंने इटली के तिब्बती समुदाय को ‘यूरोप स्टैंड विद तिब्बत’कार्यक्रम के आयोजन के महत्वपूर्ण कार्य के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि निर्वासित तिब्बती संसद की उपाध्यक्ष डोल्मा छेरिंग तेखंग ने तिब्बत में बिगड़ती स्थिति पर प्रकाश डाला और कहा कि कम्युनिस्ट चीनी शासन व्यवस्थित रूप से तिब्बती संस्कृति, धर्म, भाषा और पहचान को मिटाने का प्रयास कर रहा है। तिब्बत में औपनिवेशिक शैली के बोर्डिंग स्कूलों के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की जमीनी हकीकत पर विस्तृत शोध कराने का आग्रह किया। इन औपनिवेशिक बोर्डिंग स्कूलों में लगभग १० लाख तिब्बती बच्चों को जबरन चीनी हान संस्कृति में विलीन कराया जा रहा है।उन्होंने आगे तिब्बती पठार के महत्व के बारे में बात की और कहा कि अत्यधिक खनन सहित गलत जानकारी वाली चीनी सरकार की नीतियां तिब्बत के नाजुक वातावरण को नष्ट कर रही हैं,जिससे ग्लोबल वार्मिंग गंभीर रूप से तेज हो रही है। इस संबंध में, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तिब्बती पठार और उसके प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और संयोजन के लिए चीन पर दबाव बनाने का आग्रह किया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए यूरोप से निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्य थुप्टेन ग्यात्सो ने कहा कि तिब्बत ऐतिहासिक रूप से एक संप्रभु राज्य रहा है और तिब्बत पर आक्रमण और कब्जा एक अनसुलझा अंतरराष्ट्रीय संघर्ष बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय विधिवेत्ता और तिब्बत ब्रीफ २०-२० पुस्तक के लेखक माइकल वान वाल्ट वान प्राग ने भी तिब्बत की स्थिति और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत इसकी कानूनी स्थिति के बारे में गहरी बातें बताई हैं। इतालवी बौद्ध संघ की अध्यक्ष साइना फ़िलिपो ने भी तिब्बती बौद्ध धर्म के महत्व के बारे में बात की और बताया कि कैसे तिब्बत में तिब्बतियों के धार्मिक अधिकारों को चीनी सरकार द्वारा दबाया जा रहा है। १० मार्च को तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस के ६४वें स्मरणोत्सव के अवसर पर तिब्बती समुदायों के लगभग १००० तिब्बती और यूरोप भर के तिब्बत समर्थन समूहों के ‘यूरोप स्टैंड विद तिब्बत’कार्यक्रम में भाग लेने की उम्मीद है।