पूर्वोत्तर तिब्बत में चीनी पुलिस ने कई दिनों तक चलने वाले एक महत्वपूर्ण बौद्ध अनुष्ठान- कालचक्र दीक्षा समारोह को रोक दिया और आयोजकों को हिरासत में लेकर इसमें हस्तक्षेप किया है।
अनुष्ठान के लिए तैयार एक रेत मंडल को नष्ट कर दिया गया है और पुलिस कार्रवाई का विरोध करने वाले भक्तों को कथित तौर पर पीटा गया और उन्हें अपने घरों को लौटने के लिए कहा गया। उनमें से कुछ दूर-दराज के स्थानों से आए थे।
तिब्बत के लिए अंतरराष्ट्रीय अभियान (आईसीटी)ने कहा, ‘वह सोल्हो प्रान्त में कालचक्र पर प्रतिबंध के बारे में गहराई से चिंतित हैं, क्योंकि अधिकारियों का हस्तक्षेप साफ तौर पर बल प्रयोग के द्वारा प्रवचन, साधना, पूजा और धर्म या विश्वास प्रकट करने के अधिकार का उल्लंघन दर्शाता है।‘ हालांकि चीनी अधिकारियों द्वारा सूचना पर रोक के कारण आईसीटी स्वतंत्र रूप से रिपोर्टों की पुष्टि नहीं कर सका, लेकिन आईसीटी का मानना है कि घटनाएं अत्यधिक संभावित हैं। चीनी अधिकारियों को तिब्बती बौद्धों के धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार को बहाल करना चाहिए और कालचक्र जैसे कार्यक्रमों को अनुचित सरकारी हस्तक्षेप के बिना आयोजित करने की अनुमति देनी चाहिए।‘
कालचक्र
कालचक्र (समय का पहिया) तिब्बती बौद्ध धर्म में एक प्रमुख प्रथा है और इसे २०-२३ जुलाई को किंघई प्रान्त के सोल्हो (चीनी: हैनान) तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर के मंगरा (चीनी: गिनीन) काउंटी के गुमोंग शहर के सामी-शि गांव में आयोजित किया जाना था।
इसका नेतृत्व सोल्हो प्रिफेक्चर स्थित अथी मठ के प्रमुख अनुष्ठान गुरु अथिकालसांगताशीग्यात्सो रिनपोछे को करना था। लोकप्रिय रूप से अथी रिनपोछे के नाम से जाने जानेवाले अनुष्ठान गुरु क्षेत्र के लोग्या, सोनक, जोसेर और रनगोन गांवों में रहने वाले लगभग २००० परिवारों के मुख्य गुरु हैं।
समारोह शुरू होने से एक दिन पहले १९ जुलाई को दीक्षा-पूर्व संस्कार के दौरान तैयारी रोक दी गई थी, जबकि कथित तौर पर कार्यक्रम को अधिकारियों द्वारा पहले ही मंजूरी दे दी गई थी।
सूत्रों के अनुसार, चीनी अधिकारियों का एक बड़ा समूह सशस्त्र पुलिस के साथ १९ जुलाई की सुबह कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा और रेत मंडल को नष्ट करके और अथी रिनपोछे को छोड़ने के लिए मजबूर करके दीक्षा प्रक्रिया को रोक दिया। अधिकारियों ने आयोजकों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया और विनती कर रहे श्रद्धालुओं की भीड़ को धक्का देकर पीटा और मंडली को अपने-अपने घरों में लौटने का आदेश दिया।
वीडियो वायरल
चीन के आधिकारिक सेंसर द्वारा जांचे जाने से पहले जनता द्वारा अथी रिनपोछे के स्वागत के वीडियो को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया था। सूत्रों का कहना है कि वीडियो के व्यापक प्रसार ने संभवतः केंद्र सरकार का ध्यान बौद्ध धर्म के प्रभाव की ओर आकर्षित किया होगा, जिसके कारण धार्मिक आयोजन को रोकने का आदेश जारी करना पड़ा। यह स्पष्ट नहीं है कि किस कानून के आधार पर कार्यक्रम को रोका गया।
आध्यात्मिक शिक्षा का अभिन्न अंग
ऐसी शिक्षाएं तिब्बती बौद्ध समुदाय में आध्यात्मिक शिक्षा का एक अभिन्न अंग हैं। वे उन व्यक्तियों के लिए भी आवश्यक हैं जो अपनी आध्यात्मिक साधना को उच्चतम स्तर तक आगे बढ़ाना चाहते हैं।यही कारण है कि जब निर्वासन में दलाई लामा द्वारा कालचक्र दीक्षा प्रदान की जाती है तो कई भक्त एकत्रित होते हैं। कालचक्र की विशेषता वास्तविक दीक्षा से कुछ दिन पहले व्यापक तैयारी है, विशेष रूप से एक रेत मंडल जो दीक्षा से पहले तैयार किया जाता है जिसे भक्तों को दीक्षा के बाद पूर्ण मंडल के रूप में देखने की अनुमति होती है।
कालचक्र दीक्षा का समय २१ जुलाई या तिब्बती चंद्र कैलेंडर के छठे महीने के चौथे दिन चोएकोरड्यूचेन (धर्म चक्र का पहला प्रवर्तन) से मेल खाता है, जो उस दिन को याद करने के लिए मनाया जाता है, जब बुद्ध ने पहली बार चार महान आर्य सत्यों का उपदेश दिया था।
अन्य धार्मिक आयोजन रद्द
सातवें अथिकालसंगताशीग्यात्सो तिब्बती क्षेत्र अमदो के कुंबुमसोटुक से है। किशोरावस्था में ही उनके पुनर्जन्म को मान्यता दी गई और १९९७ में धर्मासन पर बैठाया गया। वह कुंबुम मठ में रहते हैं। उन्होंने लैब्रांग ताशिक्यिल मठ में भी अध्ययन किया। कुछ तिब्बती मीडिया ने यह भी बताया कि जुलाई में गांसु के कनल्हो (गैनान) प्रिफेक्चर में प्रसिद्ध लाब्रांगताशीक्यिल मठ के सातवें गुंगथांग रिनपोछे द्वारा की जानेवाली इसी तरह की कालचक्र दीक्षा को भी रद्द कर दिया गया था। अधिकारियों ने जुलाई के महीने को गैनान प्रीफेक्चर की ७०वीं स्थापना दिवस के रूप में वर्णित करते हुए सिचुआन प्रांत में नगाबा (अबा) प्रीफेक्चर के डोज़ेज (रुओ‘एर्गाई) में होने वाले प्रवचन कार्यक्रमों को रद्द कर दिया।