कटक, जागरण संवाददाता, 10 मई, 2012
भारत-तिब्बत सहयोग मंच एवं विशिष्ट विचार मंच की ओर से कटक शताब्दी भवन में मंगलवार शाम को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। तिब्बत के स्वाधीनता एवं भारत की सुरक्षा विषय पर आयोजित इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता के तौर पर डा.कुलदीप चन्द्र अग्निहोत्री हिस्सा लिए। भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय संयोजक प्रो.डी.अग्निहोत्री ने कहा कि तिब्बत की भाषा, धर्म, संस्कृति को नष्ट करने के लिए चीन हमेशा प्रयास कर रहा है, जिसके लिए तिब्बत में अधिक से अधिक मात्रा में घुसपैठ करा रहा है, जिसका तिब्बत वासी विरोध कर रहे हैं। तिब्बत की स्वाधीनता के लिए भारत को अपनी विदेश नीति में बदलाव लाने की जरूरत है।
सम्मानित अतिथि के तौर पर पूर्व सांसद महामेघ वाहन ऐर खारावेल स्वांई ने भाग लेते हुए कहा कि भारत-तिब्बत संबन्ध काफी गहरा व पुराना है। भारत से ही बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार हुआ था। इसलिए तिब्बत के लोग भारतीयों को काफी पसंद करते हैं, लेकिन इसमें चीन खलल डाल रहा है। कार्यशाला को उद्घाटन कर पूर्व केन्द्र मंत्री ब्रजकिशोर त्रिपाठी ने कहा कि धर्म को लेकर सांस्कृतिक पर्यावरण के अन्दर बढ़ने वाले तिब्बत के लोग हमेशा अहिंसा पर बल देते हैं। मगर चीन वहां अस्थिरता पैदा कर उन्हें हिंसा का मार्ग अपनाने को मजबूर कर रहा है। इसको भारत निश्चित रूप से टाल सकता है।
इसलिए भारत को तिब्बत की स्वाधीनता के लिए दबाव बनाने की जरूरत है। शिक्षाविद डा.नारायण महान्ति की अध्यक्षता में चले इस कार्यक्रम में दीपक महान्ति ने अतिथि परिचय, गौरीशंकर साहू स्वागत भाषण व धन्यवाद ज्ञापन किए।