धर्मशाला / Jagran.com / जागरण संवाददाता राजेश कुमार शर्मा । Tibbet China Issue, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला में स्थापना सप्ताह की पूर्व संध्या पर हिमाचल केंद्रीय विवि शिक्षक संघ (सीयूएचपीटीए) की ओर से एक आनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विवि के कुलपति प्रोफेसर सत प्रकाश बंसल ने अपने स्वागत भाषण में कहा शांतिपूर्ण विश्व व्यवस्था के लिए तिब्बत की आजादी का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने तिब्बत की आजादी के मुद्दे का समर्थन किया और कहा कि कैसे केंद्रीय विवि इस सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे के समर्थन में काम कर रहा है।
वहीं इस मौके पर मुख्य वक्ता संरक्षक और संस्थापक भारत तिब्बत सहयोग मंच और राष्ट्रीय कार्यकारी समिति सदस्य आरएसएस इंद्रेश कुमार ने “एक संप्रभु गणराज्य और एक नई सामाजिक व्यवस्था के रूप में तिब्बत की पहचान” विषय पर विचार रखे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब तक तिब्बत एक संप्रभु गणराज्य नहीं बन जाता, तब तक हमारी उत्तरी सीमा सुरक्षित नहीं है। तिब्बत बौद्ध धर्म का स्थल है जो कि अहिंसा का मूर्त रूप है।
वर्तमान विश्व में अहिंसा ही सभी सामाजिक राजनीतिक समस्याओं का एकमात्र समाधान है। वहीं विशिष्ट अतिथि डोलमा ग्यारी पूर्व गृह मंत्री निर्वासित तिब्बती सरकार और वर्तमान में सुरक्षा विभाग, तिब्बत की आजादी के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि कैसे साम्यवादी चीन ने तिब्बत पर जबरदस्ती कब्जा कर रखा है। कैसे चीन महान तिब्बती राष्ट्र की जनसांख्यिकी, सामाजिक-आर्थिक विरासत को बदल रहा है।
उन्होंने वर्णन किया कि कैसे परम पावन दलाई लामा के नेतृत्व में तिब्बती लोग अहिंसक तरीकों से क्रूर चीन सरकार से मुक्ति पाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा तिब्बत समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जड़ी-बूटियों, कला और साहित्य का प्रतीक है। यह हमारी धरती मां के सामने आई कई समस्याओं का समाधान है। उन्होंने उम्मीद जताई कि वर्तमान भारत सरकार तिब्बत को खुली हवा में सांस लेने में मदद करेगी।
वहीं अतिथि गोलोक बिहारी राय राष्ट्रीय आयोजन सचिव ने अपने भाषण में तिब्बत को भारत और चीन के बीच एक मध्यवर्ती राज्य के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि चीन कभी भी भारत का सीमावर्ती राज्य नहीं था। तिब्बत की स्वतंत्रता भारत को एक सुरक्षित राष्ट्र बनाएगी।