नवभारत टाइम्स, 30 नवंबर, 2016
लारूंग गार
लारूंग गार की पहाड़ियों पर मजदूर बौद्ध शिक्षा के सबसे बड़े केन्द्र को ध्वस्त करने में लगे हुए हैं। मशीन की गुर्राती हुई आवाजों के बीच नजदीक के मठ से लाउडस्पीकर से एक बौद्ध भिक्षु की पूजा की आवाज डूबती नजर आ रही है। 1980 में अपनी स्थापना के समय से ही लारूंग गार अपनी बेहतरीन मठों, उतार-चढ़ाव वाले मकानों और स्तूपों के कारण जाना जाता रहा है। बौद्ध शिक्षा के इस सबसे बड़े केन्द्र से पूरे क्षेत्र में बौद्ध धर्म के बारे में संदेश दिए जाते रहे हैं।
फिलहाल इस क्षेत्र पर चीनी अधिकारियों ने नियंत्रण कर लिया है। चीनी नियंत्रण को बौद्ध धर्म के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। सैकड़ों बौद्ध धर्मावलंबियों को इलाकों से जबरन हटा दिया गया है। एक बौद्ध भिक्षु ने बताया, ‘सुना है मेरे घर को गिराया जा रहा है। नहीं मालूम अब मुझे कहां रहने की इजाजत मिलेगी।’
गौरतलब है कि चीन की सरकार और तिब्बतियों के बीच हाल के दिनों में तनाव चरम पर है। कई तिब्बतियों का कहना है कि उन्हें इस बात का डर है कि उनकी भाषा, परंपरा और पूजा की विधि को पूरी तरह समाप्त करने की कोशिश की जा रही है। चीन ने बौद्धों के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा पर प्रतिबंध लगा रखा है और क्षेत्र में कहीं भी उनकी तस्वीर नहीं लगाई जा सकती है।
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