उन्होंने कहा है कि इस प्रक्रिया में देर होने पर अनिश्चितता पैदा होगी और हमारे (तिब्बतियों) सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी। आध्यात्मिक गुरु के अपने फैसले पर अडिग रहने से तिब्बती संसद के सामने कठिन परिस्थितियां पैदा हो गई हैं।
उन्होंने अपने पत्र में कहा, ‘एक वक्त ऐसा आएगा, जब मैं नेतृत्व प्रदान करने के लिए उपलब्ध नहीं रहूंगा। ऐसे में यह जरूरी है कि आप मेरे स्वस्थ और समर्थ रहते एक मजबूत शासन तंत्र का विकास करें, जिससे निर्वासित तिब्बती सरकार आत्मनिर्भर बन सके। अगर हम अब से ऐसा शासन तंत्र लागू कर सकने में समर्थ हो सके तो जरूरत पड़ने पर मैं समस्याओं के समाधान में सरकार की मदद के लिए उपलब्ध रहूंगा। लेकिन ऐसा कर पाने में नाकामयाब रहने पर मेरी गैरमौजूदगी में अनिश्चितता और बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी। यह सभी तिब्बतियों का कर्त्तव्य है, वे ऐसी किसी स्थिति को पैदा होने से रोकें।’
दलाई लामा ने कहा, ‘यह बेहद जरूरी है कि हम निर्वासित तिब्बती प्रशासन का संचालन सुनिश्चित करें। तिब्बत मुद्दे पर हमारा संघर्ष जारी रहना चाहिए। मैं अपने अधिकारों का हस्तांतरण लंबे समय में तिब्बती लोगों के हितों के मद्देनजर कर रहा हूं।’