Catchहिंदी, 19 अप्रैल, 2016
एक अमेरिकी रिपोर्ट में चीन द्वारा तिब्बत में गंभीर दमन और मानवाधिकार हनन की बात सामने आने पर तिब्बत की निर्वासित सरकार ने बीजिंग की आलोचना की है.
बुधवार को अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट को जारी किया था. इसमें तिब्बत की अनूठी धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई विरासत के गंभीर दमन के बारे में अमेरिका ने अपनी चिंता जताई है.
हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित तिब्बत के निर्वासित सरकार के प्रवक्ता ताशी फुंतसोक ने इस रिपोर्ट पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से संज्ञान लेने का अाग्रह किया है. तिब्बत के निर्वासित संसद के प्रवक्ता पेपा सेरिंग ने कहा है कि अमेरिकी रिपोर्ट तिब्बत में चीनी दमन के बारे में जागरूकता पैदा करेगी.
वहीं चीन हमेशा से कहता आया है कि 1959 में चीनी शासन के खिलाफ असफल विद्रोह के बाद भारत चले गए दलाई लामा हिंसक अलगाववादी है. इसी महीने निर्वासित तिब्बत सरकार ने दुनिया भर के सांसदों व सरकारों से चीन की ओर से तिब्बत में बनाये जा रहे राजनैतिक बंदियों के मामले में दखल देने का अनुरोध किया था. ताकि उन्हें जेलों में स्वास्थ्य लाभ मिले व उनकी रिहाई के लिये चीन पर दबाव बनाया जा सके.
इसके बाद अमेरिकी कांग्रेस के 11 सदस्यों ने अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी को पत्र लिखकर चीन के कब्जे वाले तिब्बत में राजनैतिक कैदियों को लेकर चिंता जताई थी. कैरी को लिखे पत्र में कहा गया था कि तिब्बत में सैंकड़ों लोगों को राजनैतिक कैदी बना लिया गया है. उनके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है.
इसके अलावा 2014 में भी अमेरिका की आधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया था कि तिब्बत में चीन धार्मिक अधिकारों का लगातार दमन कर रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने रिपोर्ट जारी करते वक्त कहा था, चीनी अधिकारी तिब्बती बौद्धों को महज दलाई लामा की फोटो रखने के आरोप में गिरफ्तार कर लेते हैं.
अमेरिका कई बार चीन को दलाई लामा से सीधी बात करने के लिए दबाव बना चुका हैं. 2014 में बातचीत को बढ़ावा देने के लिए जॉन कैरी ने एक अधिकारी की नियुक्ति की थी जिसे चीन ने मान्यता देने से इंकार कर दिया था.
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