पंजाब केसरी, 10 मार्च 2013
धर्मशाला: तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री लोबसांग सांगेय ने आत्मदाह के आंकड़े के 107 पर पहुंचने पर चिंता जताई है। वर्ष 2009 से अब तक 107 लोग तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए आत्मदाह कर चुके हैं। तिब्बती बौद्ध 108 की संख्या को शुभ अंक मानते हैं, लेकिन आशंका यह है कि आत्मदाह की एक और घटना से यह शुभ संख्या कहीं अशुभ न हो जाए।
सांगेय ने बताया, ‘‘जीवन मूल्यवान है। हमने हमेशा उग्र कार्रवाई को हतोत्साहित किया है।’’ आत्मदाह की घटनाओं के लिए चीन को दोषी ठहराते हुए सांगेय ने कहा कि 108 संख्या शुभ अंक है। मंत्र जाप करने वाली माला में 108 मनके या दाने होते हैं। इसलिए इस संख्या को 108 अशुभ न बनाया जाए।
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) की वेबसाइट पर सांगेय के हवाले से लिखा गया है, ‘‘यदि दुर्भाग्यवश आत्मदाह की एक और घटना हो जाती है तो यह तिब्ब्त के इतिहास में अमंगलकारी होगा।’’
सीटीए के अनुसार, तिब्बत में आत्मदाह की शुरुआत वर्ष 2009 में हुई थी। उस साल आत्मदाह की केवल घटना हुई थी। इसके बाद वर्ष 2011 में आत्मदाह की 13 घटनाएं हुईं। सबसे ज्यादा आत्मदाह की घटनाएं 2012 में हुईं। पिछले साल सिर्फ नवंबर में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 18वें अधिवेशन के दौरान आत्मदाह की 28 घटनाएं हुईं।
आत्मदाह करने वालों का एक ही नारा था कि उनके धर्मगुरु दलाई लामा को तिब्बत लौटने की अनुमति दी जाए। इसके अलावा तिब्बत को स्वायत्तता तथा लोगों को पूजा करने की स्वतंत्रता दी जाए। इधर, तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के पीपुल्स कांग्रेस के अध्यक्ष पद्म चोलिंग ने शुक्रवार को तिब्बत क्षेत्र में आत्मदाह को प्रोत्साहन देने के लिए दलाई लामा ‘गुट’ को जिम्मेदार ठहराया।
दलाई लामा के राजनीतिक उतराधिकारी सांगेय ने कहा कि चीन तिब्बत में आत्मदाह का समाधान खोजने के बजाय दोषारोपण का सहारा ले रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘वे हमें उकसाने का आरोप लगा रहे हैं। अपने इस आरोप की पुष्टि के लिए चीन के अधिकारी हमारे कार्यालय (धर्मशाला) में आ सकते हैं। हम उनका यहां स्वागत करेंगे।’’ उल्लेखनीय है कि चीन ने 1959 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था।