भारत के एक तिब्बती एडवोकेसी समूह ने इस सप्ताह कहा है कि संवेदनशील राजनीतिक वर्षगांठ से ठीक पहले सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा करने के कारण मार्च में एक तिब्बती व्यक्ति को हिरासत में ले लिया गया था, जिसके बारे में अब तक कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। इससे उस व्यक्ति के परिजनों को इस बात का डर सता रहा है कि हिरासत में उसे यातनाएं दी जा सकती हैं।
तिब्बती सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड डेमोक्रेसी (टीसीएचआरडी) ने 26 नवंबर को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि चीनी शासन के खिलाफ विफल तिब्बती विद्रोह की 60वीं वर्षगांठ से एक दिन पहले यानि 9 मार्च को तिब्बत की राजधानी ल्हासा में 26 वर्षीय पेमा समदुप को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था।
इस अधिकारवादी समूह ने एक अज्ञात सूत्रके हवाले से कहा कि समदुप को ’राजनीतिक कारणों’ और अपने वी चैट अकांउट पर फ़ोटो साझा करने के लिए हिरासत में लिया गया और कहा कि उसके परिवार के सदस्यों को उनकी गिरफ्तारी की औपचारिक सूचना भी कभी नहीं दी गई।
तिब्बती की हिरासत या चीनी शासन के खिलाफ तिब्बतियों के विरोध-प्रदर्शनों की खबरें तिब्बती क्षेत्रों में चीनी अधिकारियों द्वारा लगाए गए सख्त संचार प्रतिबंधों के कारण बाहरी दुनिया तक अक्सर बहुत देर से पहुंचा करती हैं।
आमतौर पर चीनी अधिकारी निर्वासित आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की या तिब्बती विरोध की तस्वीरों को तिब्बतियों के बीच वितरित करने से तिब्बतियों को रोकते हैं।
टीसीएचआरडी ने कहा कि कॉलेज के स्नातक और चामडो प्रान्त के तेंगचेन (चीनी, देंगकेन) काउंटी के पूर्व निवासी समदुप के परिजनों को अब चिंता है कि समदुप को हिरासत में लिए जाने के बाद अब उसे प्रताड़ित किया जा सकता है।
निर्वासन में रहने वाले एक करीबी सूत्र ने अधिकारवादी समूह को बताया कि चमडो में (हिरासत में लेनेवाले अधिकारीगण) राजनीतिक बंदियों पर क्रूर अत्याचार के तरीकों का इस्तेमाल करने के लिए कुख्यात हैं।‘
समदुप के परिजन ने कहा, ‘मुझे अब उनके जीवन को लेकर डर है।‘
टीसीएचआरडी ने कहा कि ‘पेमा समदुप की हिरासत और संदिग्ध यातना ‘उसके मानवाधिकारों और मूलभूत स्वतंत्रता का उल्लंघन है।‘ संगठन ने चीन से अपील की है कि समदुप तक उसके परिवार के सदस्यों को ‘तत्काल और बेरोकटोक’ पहुंच प्रदान की जाए और उसे हर तरह की जरूरी चिकित्सकीय उपचार दिया जाए।