तिब्बत के ड्ज़ा वोन्पो मे चीनी सैन्य
tibet.net
३० अगस्त २०२१
चीनी अधिकारियों ने परम पावन दलाई लामा की तस्वीरें रखने के आरोप में पिछले सप्ताह तिब्बती सिचुआन प्रांत के कर्ज़े (चीनी : गंजी) स्वायत्त प्रिफेक्चर के डेजा वोन्पो में १९ भिक्षुओं और ४० आम लोगों सहित ६० तिब्बतियों को गिरफ्तार किया है। पहले से ही प्रतिबंधित ड्ज़ा वोन्पो शहर में इस मार्च से प्रतिबंध और निगरानी और कड़ी हो जाने के कारण यह खबर कई महीने बाद आई है।
हमारे सूत्र के अनुसार, पिछले महीनों में मारे गए विभिन्न छापों के दौरान कथित तौर पर परम पावन दलाई लामा के चित्रों के बरामद होने के बाद चीनी पुलिस ने २२ अगस्त को तिब्बतियों को उनके घरों से गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए कुछ भिक्षुओं की पहचान लोदेन चुंगलम, पल्क्यब, तेनज़िन लोसेल, पेंडो, लोशेर, चोचोक, गदेन, शेरब, जैम्पेल, डालो, चोएपा, सोनम गलाक और तामदीन नोरबू के रूप में हुई है। अन्य की पहचान उस समय तक अज्ञात थी। सूत्र ने पुष्टि की है कि पकड़े गए तिब्बती वर्तमान में सेरशुल (चीनी: शिकू) काउंटी पुलिस की हिरासत में हैं।
सामूहिक गिरफ्तारी के तीन दिन बाद २५ अगस्त को चीनी अधिकारियों ने स्थानीय निवासियों को एक नगर बैठक के लिए बुलाया जिसमें १८ वर्ष से अधिक उम्र के तिब्बतियों के लिए उपस्थित होना अनिवार्य था। इस आदेश के अनुपालन में विफल रहने पर दंड का प्रावधान किया गया था। बैठक ‘तिब्बतियों को परम पावन दलाई लामा की तस्वीरें न रखने की चेतावनी देने के लिए’, निर्वासित तिब्बतियों को ‘अपने मोबाइल फोन से किसी भी संवेदनशील जानकारी शेयर न करने के लिए’ और ‘कम्युनिस्ट पार्टी का अनुसरण करने के लिए’ बुलाई गई थी।
चीनी हिरासत में तिब्बती कैदियों के क्रूर और अमानवीय व्यवहार की पुष्टि करते हुए सूत्र ने कहा कि, ड्ज़ा वोन्पो मठ के एक किशोर भिक्षु तेनज़िन न्यिमा की मौत के बाद क्षेत्र में शहर के निवासियों का निरीक्षण किया गया था। तेनजिन न्यिमा की मौत पुलिस यातना के कारण १९ जनवरी २०२१ को हो गई थी। मार्च २०२१ में चीनी अधिकारियों ने ड्ज़ा वोन्पो में तिब्बतियों को डराने के लिए अभियान चलाया। इसमें पुलिस और कमांडो द्वारा शहर में परेड और परम पावन दलाई लामा की तस्वीरों को घरों से जब्त करने के लिए ‘सफाई’ अभियान शामिल था।
तिब्बत पर कब्जे के बाद से चीन सरकार ने परम पावन दलाई लामा की तस्वीर रखने पर प्रतिबंध लगा दिया है। १९८९ के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित परम पावन को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार द्वारा बेतुके ढंग से ‘अलगाववादी’ कहा जाता है। इसलिए, निर्वासित परम आदणीय नेता के प्रभाव को तिब्बत के भीतर से मिटाने के प्रयासों के तहत परम पावन के प्रति श्रद्धा प्रकट करनेवाले किसी भी कार्य पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसमें उनके चित्रों, बौद्ध शिक्षाओं और पुस्तकों को रखना और एक-दूसरे को देना भी शामिल है। इनमें से कोई भी सामग्री पाए जाने पर इसे रखने वाले तिब्बतियों को अक्सर कठोर दंड दिया जाता है।