
धर्मशाला। ऑस्ट्रेलिया-तिब्बत परिषद (एटीसी) के ‘लिटिल तिब्बत’ दौरा कार्यक्रम के तहत एटीसी के कार्यकारी निदेशक डॉ. ज़ोए बेडफोर्ड के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने आज, ०८ नवंबर को निर्वासित तिब्बती संसद का दौरा किया और डिप्टी स्पीकर डोल्मा शेरिंग तेखांग से मुलाकात की।
डिप्टी स्पीकर डोल्मा शेरिंग तेखांग ने एटीसी प्रतिनिधिमंडल का स्वागत और गर्मजोशी से अभिवादन करते हुए तिब्बतियों और ऑस्ट्रेलियावासियों के बीच के विशेष संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने पिछले दशकों में तिब्बत के लिए की गई अटूट वकालत के लिए एटीसी की प्रशंसा की और उनके निरंतर समर्थन के लिए गहरा आभार व्यक्त किया।
डिप्टी स्पीकर ने प्रतिनिधिमंडल को निर्वासित तिब्बती संसद की संरचना और गठन, इसके सांसदों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों और उन्हें चुनने की चुनाव प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। डिप्टी स्पीकर ने प्रतिनिधिमंडल को धर्मशाला लाने के लिए एटीसी को धन्यवाद दिया तथा कहा कि चीन-तिब्बत संघर्ष के बारे में जानने तथा केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के काम को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करने से तिब्बत के न्यायोचित मुद्दे के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और मजबूत होगी।
तिब्बत के बारे में जागरुकता फैलाने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए डिप्टी स्पीकर ने चीन के दुष्प्रचार अभियानों का मुकाबला करने की चुनौती का जवाब देने पर जोर दिया। उन्होंने चीन की विस्तारवादी मानसिकता की निंदा की और इसे वैश्विक लोकतंत्र के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक बताया। उन्होंने तिब्बतियों के लिए निष्पक्षता और न्याय सुनिश्चित करने वाली लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए परम पावन दलाई लामा के लंबे समय से आकांक्षी मध्यम मार्ग दृष्टिकोण के साथ-साथ तिब्बती लोगों को उनके द्वारा दिए लोकतंत्र रूपी उपहार के बारे में भी बात की।
डिप्टी स्पीकर ने तिब्बत के अंदर की गंभीर स्थिति की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, जिसमें तिब्बती बच्चों को औपनिवेशिक शैली के बोर्डिंग स्कूलों में जबरन स्थानांतरित करना और विरोध स्वरूप तिब्बतियों द्वारा आत्मदाह करना शामिल है। उन्होंने २२ अक्तूबर २०२४ को राष्ट्रों के एक समूह की ओर से संयुक्त वक्तव्य जारी करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में ऑस्ट्रेलियाई राजदूत के प्रति आभार व्यक्त किया। इस वक्तव्य के जारी होने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा में तिब्बत के मुद्दे को उठाया गया और संयुक्त राष्ट्र की वैध चिंताओं को दूर करने से चीन के इनकार की निंदा की गई।
यात्रा के समापन पर प्रतिनिधिमंडल को पारंपरिक तिब्बती औपचारिक स्कार्फ और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्हें संसद भवन के दौरे पर ले जाया गया।