प्राग। निर्वासित तिब्बती संसद की उिप्टी स्पीकर डोल्मा छेरिंग तेखांग ने ०१और०२ सितंबर २०२३कोआयोजित चीन पर तीसरे अंतर-संसदीय गठबंधन (आईपीएसी) केप्राग शिखर सम्मेलन-२०२३ में भाग लिया। शिखर सम्मेलन का आयोजन चेक गणराज्य केप्राग अवस्थितचेक चैंबर ऑफ डेप्युटीज और सीनेट के भवनों में की गई थी।इसमें ३० देशों के ५०जन प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन के दौरान तीन नए देश-फिलीपींस, केन्या और पैराग्वे आईपीएसीनेटवर्क में शामिल हुए। तीनों देशों के जन प्रतिनिधि इसमें नामित किए गए।
०१ और ०२ सितंबर को३० देशों के ५०जन प्रतिनिधि प्राग में चेक चैंबर ऑफ डेप्युटीज़ और सीनेट में एकत्र हुए और पिछले साल के निर्णयों पर काम करते हुए उपलब्धियों, चुनौतियों और सुझावों पर चर्चा की। उन्होंने विस्तारवादी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा नियम-आधारित व्यवस्था, वैश्विक शांति,स्थिरता,स्वतंत्रता और लोकतंत्र के समक्षपेश की गई कई चुनौतियों के जवाब में लोकतांत्रिक रणनीतियों पर भी चर्चा की। शिखर सम्मेलन का फोकस चीन से संबंधित छह विषयों-ताइवान, नवीकरणीय निर्भरता, दूसरे देशों का दमन, हांगकांग, बेल्ट एंड रोड पहलऔर मानवाधिकार पर केंद्रित रहा।
तीसरे आईपीएसी वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी चेक गणराज्यकेआईपीएसी केसह-अध्यक्ष प्रतिनिधि ईवा डेक्रोइक्स और सीनेटर पावेल फिशर ने की। सभा का स्वागत चेक विदेश मंत्री जान लिपावस्की नेकिया। उन्होंने चेक गणराज्यके पहले राष्ट्रपति वैक्लाव हावेल और तिब्बती आध्यात्मिक नेता परमपावन दलाई लामा के बीच संबंधों पर प्रकाश डाला। विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श करने के लिए प्रतिभागियों को तीन समूहों में बांटा गया था।
०२ सितंबर कोचेक गणराज्य के आईपीएसी सह-अध्यक्ष सीनेटर पावेल फिशर द्वारा प्राग आईपीएसी विज्ञप्ति कोऔपचारिक रूप से स्वीकार करने से पहलेजन प्रतिनिधियोंने हांगकांग लिबर्टी, विश्व उग्यूर कांग्रेस और निर्वासित तिब्बती संसद के प्रतिनिधियों को भी सुना। शिखर सम्मेलन के अंत में चीन गणराज्य के लेजिस्लेटिव युआन के अध्यक्षयू सी-कुन का आभासी संदेश प्रसारित किया गया।
निर्वासित तिब्बत संसद का प्रतिनिधित्व इसकी डिप्टी स्पीकर डोल्मा तेखांग नेकिया और तिब्बत के अंदर रहरहे तिब्बतियों द्वारा सामना किए जाने वाले सबसे गंभीर मुद्दे को उठाया। उन्होंने आग्रह किया कि दुनिया की कई सरकारों नेतिब्बत के इतिहास को समझे बिना पीआरसी की बातों पर भरोसा किया है और उसके आदेशों को स्वीकृति दी है। इस तरह की स्वीकृति से पीआरसी को अन्यत्र क्षेत्रीय दावों को दबाने मेंप्रोत्साहन मिलता है। असलियत यह है कि चीन ज्यादातर झूठे या भ्रामक ऐतिहासिक कथानकोंको प्रचारित करता है औरतिब्बत पर अपने दावे को सही ठहराने के लिए ऐसे कथानकों का उपयोग करता है। इसलिएदुनिया को पता होना चाहिए कि पीआरसी आधुनिक दुनिया में लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है और तिब्बत एक ऐसा मुद्दा है, जिसे लेकर चीन को नियंत्रित किया जा सकता है। इस मुद्दे से बहुपक्षीय तरीके से निपटा जाना चाहिए। इसलिए, मैं आपसे आग्रह करती हूंतिब्बत में मानवाधिकार की स्थिति को तिब्बत-चीन संघर्ष के संदर्भ में ही देखें और इसे अंतरराष्ट्रीय और अनसुलझे मुद्देके रूप में माना जाए।
उन्होंने आगेकहा कि यह नीला ग्रह हम मनुष्यों के लिए एकमात्र आवास है, इसीलिए इसे बचाए रखना हमारे अस्तित्व के लिए अहम है। इसीलिए, मानवता के सामने आने वाली ग्लोबल वार्मिंग जैसीपर्यावरणीय चुनौतियों की समग्र समझ के लिएविश्व नेतृत्व को तिब्बती पठार के वैश्विक महत्व को पहचानने की आवश्यकता है। उन्होंने वैश्विक जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर तिब्बती पठार के प्रभाव और महत्वपूर्ण भूमिका दोनों को समझने के लिए संयुक्त राष्ट्र के निर्देशन में वैज्ञानिक अनुसंधान शुरू कराने की अपील की।
उन्होंने दोहराया कि चीन की पीआरसी सरकारके नेतृत्व को विश्व व्यवस्था में जिम्मेदार पक्षबनाना न केवल कम्युनिस्ट शासन के तहत पीड़ित समूहों के हित में है, बल्कि यह पीआरसी और चीनी लोगों के हित में भी है। उन्होंने सभी लोगोंसे इस दुनिया को शांति और सद्भाव से रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का आह्वान किया।
उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी(सीसीपी) कुल मिलाकरतिब्बती सभ्यता का आधार औरहमारी पहचान के मूल सिद्धांतों- भाषा और धर्म को निशाना बना रही है। तिब्बत के सर्वोच्च और सबसे प्रतिष्ठित हस्तीको नियंत्रित करने का बीजिंग के प्रयास से यह साबित होता है कि सीसीपी के पास तिब्बत पर कानूनी, राजनीतिक और नैतिक रूप से शासन करने की कोई वैधता नहीं है। उन्होंने तिब्बत के लिए खड़े होने, सच्चाई के लिए खड़े होने और शांति और न्याय के प्रति विश्वास को जीवित रखने के लिए सभी तिब्बत समर्थक देशों की विधायिकाओं, उनकी सरकारों और वहां के लोगों को धन्यवाद देते हुए अपना संबोधन समाप्त किया।
शिखर सम्मेलन के दौरान डिप्टी स्पीकर तेखांग ने तीन चेक संसदीय तिब्बत हित समूहों के मुलाकात की। इनमें चेक संसदीय तिब्बत समूह के अध्यक्ष सीनेटर प्रेमिसल रबास,चैंबर ऑफ डेप्युटी के सदस्यहयातो जोसेफ ओकामुरा, चेक संसदीय तिब्बत समर्थक समूह के सचिव सीनेटर कतेरीना जैक्स शामिल थे। वह तिब्बत के एक कट्टर समर्थक श्री मार्टिन बर्सिक से भी मिलीं।उन्होंने उनदो तिब्बत समर्थक समूहों के साथ भी बैठकें कीं,जिनसे मिलने का प्रबंध एंड्रिया स्वोबोडोवा ने किया था। ये थे- लुंग्टा की निदेशक एडिटा क्लेकेरोवा और मोस्ट प्रोटिबेट गैब्रिएला गज़्डिकोवा। उन्होंने उन्हें तिब्बत में नई गतिविधियों से अवगत कराया और तिब्बत के प्रति उनके अटूट समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।
उन्होंने तिब्बत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर देने के लिए कार्यक्रमके आयोजकों और आईपीएसी कार्यकारी निकाय को धन्यवाद दिया। आईपीएसी सदस्यों और आईपीएसी कार्यकारी सदस्यों ने भी उनकी उपस्थिति की बहुत सराहना की। आईपीएसी शिखर सम्मेलन में सफल भागीदारी के बाद वह ०५सितंबर २०२३ को धर्मशाला लौट आईं।