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नई दिल्ली।भारतीय संसद के बजट सत्र के दौरान निर्वासित तिब्बती संसद की उपाध्यक्ष डोल्मा त्सेरिंग तेखंग के नेतृत्व में तिब्बती संसदीय प्रतिनिधिमंडल का तिब्बत मुद्दे को लेकर अभियान चल रहा है। इस तिब्बती संसदीय प्रतिनिधिमंडल में सांसद- तेन्पा यारफेल, खेंपो काडा न्गोडुप सोनमऔर फुरपा दोरजी ग्यालधोंग शामिल हैं। प्रतिनिधिमंडल ने पिछले तीन दिनों में भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और मंत्रियों समेत ३८ भारतीय सांसदों के साथ बैठकें कीं।
भारतीय सांसदों के साथ अपनी बैठकों के दौरान प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने उन्हें तिब्बत के अंदर की गंभीर स्थिति से अवगत कराया, जो चीन द्वारा मुक्त और विकसित किए जाने के बुलंद दावों के बावजूद गंभीर और चिंताजनक बनी हुई है।
२००९ के बाद से असहमति व्यक्त करने के स्थान के लगातार सिकुड़ते जाने के कारण समाज के हर क्षेत्र के १५७ से अधिक तिब्बतियों ने चीन की दमनकारी नीतियों के विरोध में आत्मदाह कर लिया है। चीन की दमनकारी नीतियों में राजनीतिक दमन, सांस्कृतिक आत्मसात, जनसंख्या का स्थानांतरण, नस्लीय भेदभाव, आर्थिक और शैक्षिक रूप से नजरअंदाज करना, बड़े पैमाने पर पर्यावरण विनाश और खनिज, जल और वन संसाधनों के अंधाधुंध दोहन शामिल है। इन नीतियों ने पूरे तिब्बती पठार को नष्ट कर दिया है जिससे विश्व की जलवायु भी बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई है।
डिप्टी स्पीकर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय संसद के माननीय सदस्यों से तिब्बती पहचान और उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के अस्तित्व के सवाल पर अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने और तिब्बत में अधिकारों का उल्लंघन, धार्मिक दमन जैसे मुद्दों पर चिंता व्यक्त करने में विश्व नेताओं के साथ शामिल होने का आग्रह किया। इसी तरह, उन्होंने भारतीय सांसदों से परम पावन दलाई लामा के दूतों और कम्युनिस्ट चीन के बीच बातचीत की जल्द बहाली का समर्थन करने का आग्रह किया। प्रतिनिधिमंडल ने इन सांसदों से संयुक्त राष्ट्र के मंच ‘कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी)’ द्वारा वैश्विक जलवायु परिवर्तन में तिब्बती पठार पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान अध्ययन कराने का आग्रह करने में विश्व के नेताओं के साथ जुड़ने के लिए भी अनुरोध किया।
०४ अप्रैल को तिब्बती सांसदों ने दिल्ली में प्रमुख भारतीय राजनीतिक दलों के मुख्यालयों का दौरा करके अपने ‘तिब्बत एडवोकेसी अभियान’ की शुरुआत की। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से अपने अभियान की शुरुआत करते हुए तिब्बती संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने एनसीपी के राष्ट्रीय सचिव श्री एस.आर. कोहली से मुलाकात की और उन्हें तिब्बत मुद्दे पर जानकारी दी। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), जनता दल-यूनाइटेड (जेडीयू), नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली राज्य) और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के मुख्यालयों का दौरा किया। इस दौरान तिब्बती सांसदों ने भाकपा के राष्ट्रीय समिति सदस्य श्री चिदंबरम रवि, जदयू के महासचिव श्री अफाक अहमद खान, एनपीपी के राष्ट्रीय सचिवश्री सोनेलाल कोलऔर विभिन्न राजनीतिक दलों के अन्य अधिकारियों के साथ बहुत सार्थक चर्चा की।
तिब्बती सांसदों को अपने तिब्बत समर्थन अभियान के पहले दिन पूर्व पर्यटन मंत्री और कांग्रेस की पूर्व सांसद श्रीमती रेणुका चौधरी, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के लोकसभा सांसद श्री केसिनेनी श्रीनिवास, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री और वर्तमान राज्यसभा सदस्य और जनता दल (सेक्युलर) के अध्यक्ष श्री एच. डी. देवेगौड़ा और भाजपा के राज्यसभा सांसद श्री नरेश बंसल से मिलने का अवसर मिला।
इसी तरहअभियान के दूसरे दिन की शुरुआत बीजू जनता दल के राज्यसभा सांसदऔर तिब्बत के लिए सर्वदलीय भारतीय संसदीय फोरम के संयोजक श्री सुजीत कुमारके साथ सुबह के नाश्ते के समय तिब्बत के मुद्दे से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के साथ हुई। इसके बाद आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद श्री संजय सिंह, बीजू जनता दल के लोकसभा सांसद श्री चंद्रशेखर साहू, भाजपा के लोकसभा सांसद श्री प्रधान बरुआ, श्री मितेश पटेल, कांग्रेस के पूर्व सांसद और वर्तमान में कांग्रेस महासचिव श्री पी.एल. पुनिया और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद श्री सैयद नसीर हुसैन के साथ बैठक हुई।
उसी दिन प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू से मिलने का अवसर मिला,जिन्होंने तिब्बती संसद सदस्यों के अनुरोध पर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के सांसदों के साथ अगले दिन बैठक की व्यवस्था कर दी। अगले दिन उपसभापति ने तिब्बती संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और उन्हें श्री किरेन रिजिजू के सहयोग से पूर्वोत्तर भारत के २० से अधिक सांसदों से मिलने का अवसर मिला। इनमें कानून और न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू, बंदरगाह, जहाजरानी, जलमार्ग और आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और श्रम और रोजगार राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली, शिक्षा और विदेश मामलों के राज्य मंत्री डॉ राजकुमार रंजन सिंह, भाजपा के राज्यसभा सांसद श्री भुवनेश्वर कलिता, श्री कामाख्या प्रसाद तासा, श्री पबित्रा मार्गेरिटा, असम गण परिषद के राज्यसभा सांसद श्री बीरेंद्र प्रसाद वैश्य, यूपीएल के राज्यसभा सांसद श्री रवंगवरा नारज़ारी, भाजपा के लोकसभा सांसद श्री होरेन सिंग बे,श्री तोपोन कुमार गोगोई, श्रीमती रानी ओझा, डॉ. राजदीप रॉय, कांग्रेस के लोकसभा सांसद श्री प्रद्युत बोरदोलोई, श्री अब्दुल खालिक, एनपीएफ के लोकसभा सांसद श्री एस. लोरहो फोज़े, एनपीपी के लोकसभा सांसद डॉ. वानवीरॉय खार्लुखी, कांग्रेस के लोकसभा सांसद श्री विंसेंट पाला, भाजपा के राज्यसभा सांसद श्रीमती एस. फांगनोन कोन्याक, एनडीपीपी के राज्यसभा सांसद श्री येप्थोमी तोखेहो, एसकेएम के लोकसभा सांसद श्री सुब्बा इंद्रा हैंग, भाजपा के राज्यसभा सांसदडॉ. माणिक साहा और भाजपा के लोकसभा सांसद श्री रेबती त्रिपुराशामिल रहे।
तिब्बत समर्थन अभियान को जारी रखते हुएतीसरे दिन६ अप्रैल को तिब्बती संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने संसद पुस्तकालय परिसर का दौरा किया, जहां प्रतिनिधिमंडल ने तेलंगाना राष्ट्र समिति के लोकसभा सांसद और पुस्तकालय पर संसदीय समिति के अध्यक्ष श्री नामा नागेश्वर राव और तेलंगाना राष्ट्र समिति के लोकसभा सांसद डॉ. बी. वेंकटेश नेथाके साथ मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल का पुस्तकालय परिसर और संग्रहालय का दौरा वहां की निदेशक श्रीमती रचना शर्मा और सचिव श्री प्रसनजीत सिंह (आईएएस) द्वारा कराया गया। उनके साथ अन्य स्टाफ भी थे। उसके बाद उसी दिन प्रतिनिधिमंडल को मिजो नेशनल फ्रंट के लोकसभा सांसद श्री सी. लालरोसंगाऔर कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद श्री रिपुन बोरा से मिलने का भी अवसर मिला।