tibet.net / टोक्यो। जापान स्थित तिब्बत हाउस ने ०१ से ०७ मई तक पांच दिवसीय ऑनलाइन ‘तिब्बत महोत्सव जापान’ का आयोजन किया। जापान में सप्ताह भर चलने वाले गोल्डन वीक को वहां पड़नेवाले अवकाश के दिनों में रखा गया।
जापान में परम पावन दलाई लामा के प्रतिनिधि डॉ. छेवांग ग्याल्पो आर्य ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि इस उत्सव का उद्देश्य तिब्बत की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का परिचय देना और तिब्बत को अटूट समर्थन देने के लिए जापान की सरकार और लोगों के प्रति गहरा आभार व्यक्त करना है। उन्होंने आगे कहा कि यह तिब्बतियों और जापानियों को एक-दूसरे की समृद्ध संस्कृति को साझा करने और आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंध को मजबूत करने का अवसर भी देता है।
उत्सव के पहले दिन की शुरुआत प्रतिनिधि डॉ. आर्य द्वारा ‘तिब्बत का इतिहास और संस्कृति’ पर व्याख्यान के साथ हुई। उन्होंने अपने भाषण ने एसईई लर्निंग यानि सोशल, इमोशनल और एथिकल लर्निंग के महत्व पर भी प्रकाश डाला। इस लर्निंग में शिक्षा के सभी स्तरों पर नैतिकता को अधिक शांतिपूर्ण और करुणामय दुनिया बनाने के लिए एक नींव के रूप में महत्व दिया गया है।
अगले तीन दिन तक दिल्ली स्थित परम पावन दलाई लामा के सांस्कृतिक केंद्र, तिब्बत हाउस के निदेशक गेशे दोरजी दामदुल द्वारा बौद्ध धर्म का परिचय पढ़ाया गया और इसकी शिक्षाओं पर बातचीत की गईं। भिक्षु गेशे ला के प्रवचन में तीन विषय शामिल थे:
नव प्रशिक्षुओं के लिए ध्यान और भावनात्मक प्रबंधन
चार आर्य सत्य और तनाव प्रबंधन
पथ के तीन प्रमुख पहलू (लमत्सो नम्सुम)
गेशे दोरजी दामदुल ने क्याबद्रो (शरण प्रार्थना) का पाठ करके अपने भाषण की शुरुआत की और प्रतिभागियों ने अनुशरण करते हुए जापानी भाषा में उसी पाठ को दोहराया। तीन दिवसीय सत्र में सभी प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान प्रतिभागियों ने बौद्ध प्रथाओं और उनके दैनिक जीवन से संबंधित चीजों के बारे में प्रश्न उठाए। गेशे-ला ने इन प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर दिया। प्रतिभागियों ने ध्यान और श्वास की साधना को सबसे अधिक सहायक बताया और तिब्बत हाउस से भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने का अनुरोध किया।
समारोह के अंतिम दिन तिब्बती मक्खन चाय, पाग (चाय और मक्खन के साथ भुना हुआ जौ का आटा) और थेंटुक (नूडल्स) बनाने का प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा तिब्बती और जापानी कलाकारों द्वारा ऑनलाइन पोस्ट किए गए गीतों को प्रतिभागियों के साथ साझा किया गया। सैन फ्रांसिस्को से छेरिंग बावा, स्विट्जरलैंड से लोटेन नेमलिंग, ऑस्ट्रेलिया से तेनज़िन चोग्याल, टोक्यो से नोडा मेगुमी, दक्षिण कोरिया से खड़ग पेन्पा, नागानो के तेनज़िन कुनसांग और जेनयान तेनज़िन ने पारंपरिक और आधुनिक तिब्बती गीतों से दर्शकों का मन मोह लिया।
डॉ. आर्य ने ऑनलाइन उत्सव को सफल बनाने के लिए प्रतिभागियों और स्वयंसेवकों को धन्यवाद दिया और प्रतिभागियों से वादा किया कि तिब्बत हाउस समय-समय पर प्रतिभागियों के अनुरोध के अनुसार इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करेगा। कार्यक्रम का संचालन सुश्री हसेगावा और सोनम डोलकर ला ने किया।