तिब्बत में चीनी सरकार की नीतियों की आलोचना करने वाले लेखों को प्रकाशित करने के लिए रा त्सेरिंग धोंडुप को २०१० में तीन साल के लिए जेल में डाल दिया गया था।
rfa.org
२०२१–०९–१६
तिब्बती सूत्रों का कहना है कि तिब्बत में चीनी सरकार की नीतियों की आलोचना करने के लिए तीन साल के लिए जेल में बंद एक तिब्बती लेखक की रिहाई के बाद आठ साल तक बीमार रहने के बाद सिचुआन की राजधानी चेंगदू में इस सप्ताह मृत्यु हो गई।
रा त्सेरिंग धोंडुप, जिन्होंने शिंग्लो मारपो नाम से लिखा था, सिचुआन के न्गाबा (चीनी, आबा) तिब्बती स्वायत्त प्रान्त में ख्युंगचु काउंटी में रोंगथा मठ में एक भिक्षु थे, जिनकी मृत्यु ३४ वर्ष की आयु में हो गई।
अब भारत में रह रहे धोंडुप के दोस्त और पूर्व सहयोगी गेंडुन त्सेरिंग ने आरएफए की तिब्बती सेवा को बताया कि धोंडुप को एक पत्रिका प्रकाशित करने के लिए फरवरी २०१० में गिरफ्तार किया गया था। इस पत्रिका में प्रकाशित सामग्री में चीनी कम्युनिस्ट सरकार की आलोचना की गई थी।
गेंडुन ने कहा, ‘उन्हें पहले बरखाम में हिरासत में लिया गया था और बाद में उसे तीन साल की सजा पूरी करने के लिए मियांयांग जेल भेज दिया गया था। इसके बाद उन्हें २०१३ में रिहा कर दिया गया था। लेकिन उनका स्वास्थ्य खराब हो गया था और बाद में उन्होंने लीवर की बीमारी के कारण दम तोड़ दिया।’
निर्वासन में रह रहे धोंडुप के एक अन्य मित्र ने बताया कि धोंडुप द्वारा प्रकाशित एक पत्रिका ने २००८ में चीनी शासन का विरोध करने के साथ तिब्बत में स्थितियों का वर्णन किया था, जिसके कारण चीनी सुरक्षा बलों के हाथों सैकड़ों गिरफ्तारियां और मौतें हुईं।
उन्होंने कहा, ‘रा त्सेरिंग धोंडुप के एक और दोस्त और मैंने खुद उस पत्रिका के लिए साथ काम किया। हालाँकि, यह केवल एक ही बार प्रकाशित हुआ था।’
भारत के धर्मशाला स्थित तिब्बतन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड डेमोक्रेसी के शोधकर्ता तेनजिन दावा ने कहा, ‘कठोर व्यवहार और जेल में चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण धोंडुप की रिहाई के बाद आठ वर्षों के दौरान उनकी हालत गंभीर रूप से खराब हो गई थी।’
सूत्रों का कहना है कि बीमार और खराब स्वास्थ्य वाले तिब्बती राजनीतिक कैदियों को कभी-कभी उनकी सजा पूरी होने से पहले ही गंभीर स्थिति में रिहा कर दिया जाता है। पिछले वर्ष के दौरान ऐसे कम से कम सात कैदियों की मृत्यु की सूचना दी गई थी, जिनकी हिरासत में यातना के तहत लगी चोटों से या तो जेल में या रिहाई के बाद मौत हो गई।
दावा ने बताया कि यह अपने अपराधों के लिए जिम्मेदारी से बचने का चीनी सरकार का तरीका है।
पूर्व में एक स्वतंत्र राष्ट्र रहे तिब्बत पर ७० साल पहले चीन द्वारा आक्रमण किया गया था और उसे बलपूर्वक चीन में शामिल किया गया था।
इस दौरान चीनी अधिकारियों ने इस क्षेत्र पर अपना कड़ा नियंत्रण बनाए रखा। तिब्बतियों की राजनीतिक गतिविधियों और सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित किया गया और तिब्बतियों को उत्पीड़न, यातना, कारावास दी गई और उनकी कानूनी तरीका अपनाए बिना ही हत्या तक कर दी गईं।
आरएफए की तिब्बती सेवा के लिए उग्येन तेनज़िन और ल्हुबूम द्वारा तैयार रिपोर्ट। तेनज़िन डिकी द्वारा अनुदित। रिचर्ड फिनी द्वारा अंग्रेजी में लिखित।