tibet.net / धर्मशाला। सीटीए के शिक्षा विभाग की कालोन थरलाम डोल्मा चांगरा और सचिव जिग्मे नामग्याल ने २८ अप्रैल को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कुलपति प्रो. शांतिश्री डी. पंडित से मुलाकात की।
कुलपति के साथ बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने फीस वृद्धि के बाद जेएनयू में तिब्बती छात्रों के सामने आने वाली समस्याओं पर चर्चा की। साथ ही साथ प्रशासकों को जेएनयू से उत्तीर्ण हुए तिब्बती स्नातकों के बारे में सूचित किया गया। ये स्नातक सीटीए के विभिन्न विभागों, जेएनयू और दुनिया भर में विभिन्न संगठनों में काम कर रहे हैं।
शिक्षा कालोन ने आगे उल्लेख किया कि जेएनयू में पढ़ने वाले तिब्बती छात्र मुख्य रूप से भारत में तीसरी और चौथी पीढ़ी के तिब्बती हैं, जिनकी स्कूली शिक्षा सीबीएसई से संबद्ध तिब्बती स्कूलों में पूरी हुई है। इसलिए, तिब्बती छात्रों की वित्तीय स्थिति अन्य अंतरराष्ट्रीय छात्रों के बराबर नहीं हो सकती है। इसलिए उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रशासकों से तिब्बती छात्रों की समस्या को समझने का अनुरोध किया।
इसके अलावा, शिक्षा कालोन और सचिव ने संभूता स्कूलों के निदेशक के साथ केन्द्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के आईआईएस आयुक्त निधि पांडे और उनके सहयोगियों से भी मुलाकात की और २७ अप्रैल को सीटीएसए के तहत पहले तिब्बती स्कूलों के लिए धन प्राप्त करने पर चर्चा की। उन्होंने दोनों संस्थानों के बीच समझौता करने के बारे में भी बातचीत की।
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय तिब्बती स्कूल प्रशासन (सीटीएसए) द्वारा संचालित तिब्बती स्कूलों को सीटीए के शिक्षा विभाग के माध्यम से संभूता तिब्बती स्कूल सोसायटी (एसटीएसएस) को सौंप दिया था। केवीएस की स्थापना १९६३ में हुई थी और वर्तमान में भारत में केवीएस के तहत १२४५ स्कूल हैं।