दैनिक जागरण, 10 मार्च 2014
संवाद सहयोगी, विकासनगर: तिब्बती राष्ट्रीय जनक्रांति दिवस की 55वीं वर्षगांठ पर निर्वासित तिब्बती समुदाय के लोगों ने लक्खनवाला में कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम की शुरुआत भारत व तिब्बत के राष्ट्रगान से हुई। समुदाय के लोगों ने देर सायं को कैंडल मार्च निकाल कर स्वाधीनता संग्राम में शहीद हुए लोगों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।
सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में तिब्बती समुदाय के लोगों ने धर्मगुरु दलाई लामा के दीर्घायु के लिए प्रार्थना करने के साथ ही तिब्बत की आजादी के संघर्ष में शहीद लोगों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए दो मिनट का मौन रखा। मुख्य अतिथि के रूप में लामा खेंपो जेमवेल छुनजिल ने तिब्बती प्रधानमंत्री डॉ.लोबसांग सांगे का लिखित भाषण पढ़ा। इसमें उन्होंने तिब्बती युवाओं से आत्मदाह न करने की अपील की। भाषण में उन्होंने कहा कि तिब्बतियों को अपनी पहचान और संस्कृति को बचाए रखने के साथ ही स्वाधीनता का संघर्ष जारी रखना होगा। भाषण में चीन से मध्यम मार्ग की नीति अपना कर तिब्बत को वास्तविक स्वायत्तता दिए जाने की मांग की गई थी।
इस मौके पर निर्वासित तिब्बतियों का कहना था स्वाधीनता की मांग को लेकर 10 मार्च 1959 को तिब्बतियों ने जो ऐतिहासिक कदम उठाया था वह उनके लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेगा। कार्यक्रम में तिब्बती सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेशन के प्रतिनिधि नीमा डोंडुल, छुछे छाबा, थुथेन, लोप्सेम शेरफ, शिरीन, थुप्टिन लूडो, रागडिन सोपचुन आदि मौजूद रहे।