tibet.net
टोक्यो। तिब्बत के लिए सर्वदलीय जापानी संसदीय समर्थक समूह ने आज 27 अप्रैल को सिक्योंग डॉ. लोबसांग सांगेय के दो कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा करने के अवसर पर उन्हें सम्मानित करने के लिए एक ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया। समर्थक समूह ने तिब्बती मुद्दे के लिए अपने निरंतर समर्थन का आश्वासन भी दिया। तिब्बत पर ऑल पार्लियामेंटरी सपोर्ट ग्रुप के कार्यकारी सदस्यों और अन्य सांसदों ने टोक्यो में जापानी संसद भवन के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हॉल में आयोजित बैठक में भाग लिया।
भारत के धर्मशाला से अपने संबोधन में सिक्योंग डॉ. सांगेय ने तिब्बती मुद्दे की सच्चाई और न्याय के लिए अटूट समर्थन के लिए जापान के लोगों और सरकार को धन्यवाद दिया। बैठक में पूर्व जापानी प्रधानमंत्री श्री शिंजो आबे और उप रक्षा मंत्री श्री यासुहिदे नाकायामा भी उपस्थित थे।
पूर्व प्रधानमंत्री श्री आबे के नेतृत्व में धर्मशाला की यात्रा पर आए श्री शिमोमुरा हकुबुन और जापान में प्रभावशाली थिंक टैंक के अध्यक्ष सुश्री सकुराई योशिको के साथ अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए सिक्योंग ने कहा कि तब से वह नियमित रूप से जापान का दौरा करते हैं। सिक्योंग ने यह जानकर बहुत प्रसन्नता व्यक्त की कि तिब्बत के लिए सर्वदलीय जापानी संसदीय समर्थक समूह में सदस्यों की संख्या बढ़कर 98 हो गई है।
सिक्योंग ने कहा कि आज की बैठक दुनिया को सही और कड़ा संदेश देती है कि जापान मानवाधिकार और लोकतंत्र के लिए खड़ा है। उन्होंने कहा, ‘आप तिब्बत में चीन के दमन से पीड़ित 60 लाख तिब्बतियों को भी मजबूत संदेश भेज रहे हैं कि जापान न्याय के पक्ष में खड़ा है।’ उन्होंने कहा कि तिब्बत के लिए समर्थन व्यक्त करने का मतलब यह नहीं है कि कोई चीन विरोधी है।
तिब्बत, उग्यूर, मंगोलिया, हांगकांग और ताइवान का समर्थन करने में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए जापान की प्रशंसा करते हुए सिक्योंग ने कहा कि जापान में ऐसा करने से यह संदेश जा रहा है कि मानवाधिकार मौलिक हैं और लोकतंत्र सार्वभौमिक है। ये मूल्य चीन के अनुसार चीनी विशेषताओं वाले समाजवाद के विपरीत हैं।
उन्होंने आशंका व्यक्त की कि पूरी दुनिया के सामने दो ही विकल्प हैं- या तो आप चीन को बदल दें या चीन आपको बदल देगा। उन्होंने कहा, ‘या तो आप चीन को बदलकर उसे और अधिक लोकतांत्रिक बना दें जहां वे तिब्बत, उग्यूर, मंगोलियाई, हांगकांग और ताइवान के लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान करें या चीन जापान सहित पूरी दुनिया में चीनी विशेषताओं के साथ अपने समाजवाद को थोप डालेंगे।’
सिक्योंग ने कहा कि फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत की स्थिति सीरिया जितनी खराब है और तिब्बत में हर तरह के मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। वहां मठों को ध्वस्त किया जा रहा है, तिब्बती भाषा को हतोत्साहित किया जा रहा है और पांच लाख से अधिक तिब्बतियों को खानाबदोश क्षेत्रों से विस्थापित कर दिया गया है और तिब्बतियों को चीनी मूल में आत्मसात करने के लिए उन्हें जबरन श्रमिक शिविर जैसी स्थितियों में डाल दिया गया है। यह आत्मसात करने का अभियान तिब्बतियों की पहचान और सभ्यता के लिए खतरा है।’
अपने संबोधन में, जापान के पूर्व शिक्षा मंत्री और तिब्बत के लिए जापानी संसदीय सहायता समूह के अध्यक्ष श्री शिमोमुरा हाकुबुन ने सिक्योंग डॉ. लोबसांग सांगेय को धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बती सरकार के नेतृत्व के लिए सम्मानित करने और उन्हें धन्यवाद देने के लिए आज के ऑनलाइन कार्यक्रम में अवसर मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
श्री शिमोमुरा ने अपने संबोधन में याद किया कि जापानी संसदीय समर्थक समूह के निर्माण की प्रेरणा 10 साल पहले शुरू हुई जब उन्हें जापान इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल फंडामेंटल्स (जेआईएनएफ) द्वारा भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए आयोजित एक बैठक के लिए पूर्व प्रधानमंत्री श्री शिंजो आबे, जापानी सांसदों और सुश्री सकुराई योशिको के साथ भारत का दौरा करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि बैठक के बाद सुश्री सकुराई ने उन्हें बताया कि उन्हें धर्मशाला में तिब्बती आध्यात्मिक नेता परम पावन दलाई लामा से मिलने का समय मिल गया है, जिसके बाद हम खराब स्थितियों में भी विमान और सड़क मार्ग से धर्मशाला गए थे।
‘धर्मशाला पहुंचने के बाद, हम सिक्योंग डॉ. लोबसांग सांगेय से उनके साधारण से कार्यालय में मिले और तिब्बत मुद्दे के बारे में बहुत विस्तार से बात की और तिब्बतियों को शिक्षित करके मानव संसाधन तैयार करने में उनकी रुचि के बारे में सीखा। हमने परम पावन और सिक्योंग के सामने तिब्बती मुद्दे का समर्थन करने के लिए जापान में एक संसदीय समर्थक समूह बनाने की इच्छा व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि तब से जापानी संसदीय समर्थक समूह दुनिया के सबसे बड़े संसदीय समर्थक समूह के रूप में विकसित हुआ है और हम जापान के ओडीए (आधिकारिक विकास सहायता) कोष के माध्यम से तिब्बती समुदाय की मदद करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी पुष्टि की कि वे अपने समर्थन को मजबूती से जारी रखेंगे और तिब्बती लोगों की मदद करने के लिए ठोस प्रयास करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने विशेष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री श्री शिंजो आबे को ऑनलाइन अभिनंदन समारोह में आमंत्रित किया था और तिब्बत संसदीय समर्थक समूह में उनकी भागीदारी के लिए आशान्वित थे।
उन्होंने आगे कहा कि संसदीय समर्थक समूह उग्यूर में घोर मानवीय उल्लंघन के खिलाफ एक प्रस्ताव बनाने की प्रक्रिया में है जिसमें चीनी सरकार की निंदा की जाएगी और अन्य सांसदों के साथ गहन चर्चा के बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा।
तिब्बत का पिछले 10 वर्षों में नेतृत्व के दौरान कड़ी मेहनत के लिए डॉ. सांगेय के प्रति गहरी प्रशंसा और सम्मान व्यक्त करते हुए शिमोमुरा ने विश्वास व्यक्त किया कि सिक्योंग डॉ. सांगेय अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी एक विश्व नेता के रूप में तिब्बत और तिब्बती मुद्दों का प्रतिनिधित्व करने के लिए गतिविधियों में संलग्न रहेंगे।
बैठक को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधान मंत्री श्री शिंजो आबे ने कहा कि उन्हें सिक्योंग डॉ. सांगेय का अभिनंदन करने के लिए आमंत्रित होने पर प्रसन्नता हो रही है। श्री आबे ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ एक मजबूत नेटवर्क के निर्माण के माध्यम से तिब्बती लोगों के अधिकारों का एहसास कराने के लिए सिक्योंग डॉ. सांगेय के 10 वर्षों के नेतृत्व की बड़ी सराहना की।
यह याद करते हुए कि उन्होंने चीनी राष्ट्रपति के साथ अपनी बैठकों के दौरान तिब्बती लोगों के मानवाधिकारों में सुधार का आह्वान किया था, उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।
श्री आबे ने कहा कि हालांकि वह अब प्रधानमंत्री नहीं हैं, लेकिन एक सांसद के रूप में वह तिब्बत में स्थिति को सुधारने के लिए संसदीय समर्थक समूहों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिए वह सिक्योंग डॉ. सांगेय के साथ घनिष्ठ सहयोग करेंगे और उनकी भविष्य की गतिविधियों में सफलता की कामना करेंगे।
अपने संबोधन में सुश्री सकुराई योशिको ने कहा, ‘हमें नहीं लगता कि तिब्बत का मुद्दा जापान के साथ जुड़ा नहीं है। हालांकि हम बड़े पड़ोसी चीन के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन हम मानवाधिकार, स्वतंत्रता, लोकतंत्र और कानून के शासन जैसे मूल्यों की अवहेलना नहीं कर सकते। हम दृढ़ता से सोचते हैं कि तिब्बत में भी इन मूल्यों को स्थापित किया जाए।
सुश्री सकुराई ने दुनिया का सबसे बड़ा संसदीय समर्थन समूह बनाने के लिए जापानी राजनीतिक दलों की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘लेकिन मुझे लगता है कि हमारी मंजिल का रास्ता अभी भी दूर है। उन्होंने तिब्बत के मुद्दे के समाधान की दिशा में काम करना जारी रखने की इच्छा व्यक्त की और आशा व्यक्त की कि सिक्योंग तिब्बत के मुद्दे के पक्ष में अभियान चलाना जारी रखेंगे, हालांकि उन्होंने अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान अपने सभी संभव प्रयास किए हैं।
तिब्बत के लिए जापानी संसदीय सहायता समूह के सचिव श्री नागाओ ताकाशी ने बताया कि संसदीय समर्थक समूह उग्यूर, तिब्बत, दक्षिणी मंगोलिया, हांगकांग और म्यांमार में चीनी सरकार के घोर मानवाधिकार उल्लंघन की निंदा करने के लिए एक प्रस्ताव पर काम कर रहा है। 2019 में सिक्योंग की जापान यात्रा के दौरान जापानी संसदीय समर्थक समूह ने 2019 में एक प्रस्ताव पारित कर चीनी सरकार से तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन को समाप्त करने और मध्यम मार्ग नीति के माध्यम से तिब्बत के मुद्दे को हल करने का आग्रह किया।
– जापान स्थित तिब्बत कार्यालय द्वारा जारी