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टोक्यो। जापानी भिक्षुओं के एसोसिएशन- सुपर संघ- के प्रतिनिधियों भिक्षु हयाशी शुई और भिक्षु कोबायाशी शुई ने जापान स्थित तिब्बत कार्यालय के प्रतिनिधि आर्य त्सेवांग ग्यालपो के साथ मुलाकात की। इस अवसर पर सुपर संघा के प्रतिनिधियों ने चीनी कम्युनिस्ट शासन द्वारा तिब्बत के खाम ड्रागो क्षेत्र से ९९ फुट की बुद्ध प्रतिमा, ३० फुट की बुद्ध मैत्रेय की प्रतिमा, ४५ प्रार्थना-चक्रों और तिब्बती मठवासी स्कूल के विध्वंस किये जाने पर आक्रोश और निराशा व्यक्त की। उन्होंने तिब्बत में क्रूर चीनी शासन से पीड़ित तिब्बतियों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हुए एसोसिएशन की ओर से एक लिखित बयान प्रस्तुत किया।
प्रतिनिधियों ने तिब्बत कार्यालय को यह जानकारी दिया कि बीजिंग ओलंपिक के उद्घाटन पर टोक्यो स्थित चीनी दूतावास में तिब्बतियों, उग्यूरों, दक्षिण मंगोलियाइयों और हांगकांग के निवासियों के साथ ‘सुपर संघ’ के सदस्यों ने भी विरोध-प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। उस समय भिक्षु कोबायाशी और भिक्षु वाकाओमी ने तिब्बत में धार्मिक स्वतंत्रता के घोर उल्लंघन की निंदा करते हुए एसोसिएशन द्वारा जारी बयान का वाचन किया और इसे चीनी दूतावास को सौंपा।
प्रतिनिधि डॉ. आर्य ने ‘सुपर संघ’ के प्रतिनिधियों को धन्यवाद करते हुए तिब्बत मुद्दे के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए सराहना की। सुपर संघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि जापानी भिक्षुओं के लिए यह स्वाभाविक है कि वे बुद्ध की प्रतिमा को गिराए जाने और उनकी शिक्षाओं को अपवित्र किए जाने पर चीन का विरोध करते रहेंगे क्योंकि जापानी भिक्षु बुद्ध को अपना गुरु मानते हैं और उनकी शिक्षाओं को अपना धर्म मानते हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल तिब्बत में दमन और क्रूरता का मामला नहीं है बल्कि यह बौद्ध धर्म पर सीधा हमला है।
चीनी राजदूत को प्रस्तुत किये गये ‘सुपर संघ’ का बयान में लिखा कि, ‘यह खेदजनक है कि शांति का त्योहार माने जाने वाले ओलंपिक खेलों से ठीक पहले आपकी सरकार ने एक बार फिर से नस्लीय अल्पसंख्यक क्षेत्रों में धार्मिक उत्पीड़न को तेज कर दिया है और ड्रागो खाम में बौद्ध प्रतिमाओं का विध्वंस करने के साथ ही प्रार्थना-चक्रों को नष्ट किया है।
इसमें कहा गया है, ‘तिब्बती बौद्ध धर्म संपूर्ण मानव जाति की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत है, जिसका इतिहास १५०० साल पुराना है। इसलिए हम दुनिया भर के बौद्ध आपकी सरकार द्वारा धर्म और मानवाधिकारों के दमन का विरोध करते हैं। इसका कारण चाहे जो रहा हो।’