tibet.net / २१ अप्रैल २०२३
जिनेवा। जर्मनी की संघीय सरकार ने मानवाधिकार और मानवीय सहायता संबंधी समिति के साथ २० अप्रैल २०२३ को हुई बैठक के बाद तिब्बत में ‘तेजी से बिगड़ती’ स्थिति पर चिंता व्यक्त की और सभी अनिवार्य आवासीय स्कूलों को तत्काल बंद करने और तिब्बत में तिब्बती खानाबदोशों के जबरन पुनर्वास के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के आह्वान का समर्थन किया।
जर्मन संघीय सरकार के विदेश कार्यालय के एक प्रतिनिधि ने तिब्बत में मानवाधिकारों के सुनियोजित उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने तिब्बत की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों के हालिया निष्कर्षों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया और चीन से अनिवार्य आवासीय स्कूलों को समाप्त करने और तिब्बती खानाबदोशों को जबरन हटाने के कार्यक्रम को रोकने का आह्वान किया। विदेश कार्यालय के प्रतिनिधि ने चीनी सरकार की तिब्बत में तिब्बती भाषा, संस्कृति और धर्म को जबरन आत्मसात करने की नीति पर प्रकाश डाला और कहा कि तिब्बत में आवासीय स्कूलों का उद्देश्य ‘तिब्बती भाषा और संस्कृति को दबाना’ है।
चीन द्वारा तिब्बत में मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन का विवरण देते हुए जर्मन विदेश कार्यालय के प्रतिनिधि ने जोर देकर कहा कि जर्मनी यह सुनिश्चित करता है कि मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे के प्रति जर्मनी आंख मूंदे हुए नहीं रहेगा।
जिनेवा स्थित तिब्बत ब्यूरो के प्रतिनिधि थिनले चुक्की ने तिब्बती लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए जर्मनी की दृढ़ प्रतिज्ञा का स्वागत किया और कहा कि यह ‘पूरे यूरोप में एक स्पष्ट संदेश देता है कि चीन शासन के तहत तिब्बत में विकट स्थिति की अब और अनदेखी नहीं की जा सकती है’। उन्होंने चीन से तिब्बत में अपने अत्याचारों को ढ़कने के लिए अरबों खर्च करने के बजाय अपने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्व को पूरा करने और तिब्बती लोगों के अधिकारों का सम्मान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय आह्वान पर ध्यान देने का आग्रह किया।