तिब्बत.नेट, 06 दिसंबर, 2018
धर्मशाला। जर्मन मानवाधिकार आयुक्त बारबेल कोफ्लर 6 और 7 दिसंबर को तिब्बत की राजधानी ल्हासा में जर्मनी-चीन मानवाधिकार वार्ता की अध्यक्षता करेंगी। इससे पहले इस साल ‘झिंझियांग’ जाने का उनका अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया था।
कोफ़्लर ने अपने बयान में ‘तुर्क मूल के उग्युर अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार की रिपोर्ट पर सदमा व्यक्त किया और ‘झिंझियांग’ जाने से खुद के वंचित किए जाने पर निराशा व्यक्त की। इससे उन्हें स्थिति के बारे में पहले अनुमान लगाने में मदद मिली। लेकिन वह इस बात से आश्वस्त है और झिंझियांग जाने की अनुमति प्राप्त करने के लिए अपना प्रयास अनवरत जारी रखेंगी।
तिब्बत में बातचीत के स्थल में परिवर्तन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि ‘तिब्बत में मानवाधिकार की गंभीर स्थिति’ ने बातचीत करने के लिए उपयुक्त मौका दिया है। तिब्बत को चिंता वाले क्षेत्रों में गिनते हुए उन्होंने ‘अत्यधिक नियंत्रण, सजा, परिवार के सदस्यों के अपराधों के लिए रिश्तेदारों को सजा, सामान्य धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध और देशभक्तिपूर्ण शिक्षा को उदाहरण के तौर पर रखा, जिसका उपयोग आज भी तिब्बत में किया जा रहा है।
बारबेल कोफ़्लर ने चीन में भी मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की और इस बात पर जोर दिया कि ‘यह हाल के वर्षों में अधिक गंभीर हो गया है। ’आखिरी द्विपक्षीय मानवाधिकार वार्ता 2016 में जर्मनी में आयोजित की गई थी जिसके बाद चीन में आयोजित होने वाले 2017 के संवाद को चीन ने रद्द कर दिया था।
बारबेल की तिब्बत यात्रा एक सकारात्मक विकास के रूप में देखी जा रही है। चीन ने हाल के वर्षों में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा तिब्बत-यात्रा के लिए किए गए अनुरोधों को बार-बार अस्वीकार कर दिया है, जिनमें पूर्व मानवाधिकार उच्चायुक्त प्रिंस जैद भी शामिल हैं।
हाल ही में समाप्त हुई चीन की तीसरी वैश्विक आवधिक समीक्षा (2 नवंबर) को जर्मनी ने चीन को धर्म और विश्वास, राय और अभिव्यक्ति, शांतिपूर्ण सभा और संस्कृति की स्वतंत्रता के अधिकारों का सम्मान करने की सिफारिश की थी जो तिब्बतियों, उइगर और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए भी थी।
सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग (डीआईआईआर) के संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार डेस्क के थिनले चुक्की ने टिप्पणी की, “चीन की यूपीआर के दौरान जर्मनी द्वारा चीन को दी गई सिफारिशों के प्रकाश में हमें उम्मीद है कि जर्मन मानवाधिकार आयुक्त सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर चीन के साथ बातचीत करेंगी और मुद्दों को उठाएंगी। इसके अलावा, हम आशा करते हैं कि यह वार्ता चीन के तहत सभी क्षेत्रों में अधिकारों की स्थिति और विशेष रूप से तिब्बत में समग्र मानव अधिकारों के उल्लंघन को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच नियमित और करीबी आदान-प्रदान का निर्माण करने में मदद करेगी।