समय Live, 1 मार्च 2012
इटानगर: तिब्बत से निकलने वाली सियांग (ब्रह्मपुत्र) नदी अरूणाचल प्रदेश के एक शहर में लगभग सूखी पाई गई.
राज्य सरकार के प्रवक्ता टाको डाबी ने देर रात बताया कि पूर्वी सियांग जिले के पासीघाट शहर के लोगों ने पाया कि देर शाम नदी का जल स्तर इतना नीचे गिर गया कि यह लगभग सूख सी गयी.
मुख्यमंत्री नबम तुकी के राजनीतिक सलाहकार डाबी ने यह भी आशंका जताई कि चीन ने नदी के जल की दिशा मोड़ दी होगी जिसे तिब्बत में यारलोंग सांगपो के नाम से जाना जाता है . उन्होंने आशंका जताई कि कोई कृत्रिम रोकथाम की गई होगी जिससे ऐसा हुआ.
डाबी ने कहा कि सियांग नदी का जलस्तर नौ जून 2000 को अचानक 30 मीटर उठ गया था और लगभग पूरा शहर डूब गया जिससे संपत्ति की व्यापक क्षति हुई थी. इसके अलावा तिब्बत में एक जलविद्युत बांध के ढह जाने से सात लोगों की मौत हो गयी थी.
डाबी ने खुद ही सूखी नदी का निरीक्षण किया.
डाबी ने सुझाव दिया कि केंद्र और केंद्रीय जल आयोग जैसी इसकी एजेंसियों को राज्य सरकार के साथ मिलकर तुरंत एक अध्ययन कराना चाहिए ताकि मूल समस्या का समाधान किया जा सके. उन्होंने कहा कि लोगों के डर को आसानी से नहीं टाला जा सकता. यारलांग सांगपो दुनिया की सबसे ऊंची नदी है और यह पश्चिमी तिब्बत के तामलुंग सो झील से निकलती है जो कैलाश पर्वत और कैलाश मानसरोवर झील के दक्षिण पूर्व में है.
अरुणाचल प्रदेश के तूतिंग में प्रवेश करने पर इस नदी को सियांग नाम से जाना जाता है. असम में इसे ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में मेगना नदी के नाम से जाना जाता है. चीन ने युनान प्रांत में आठ जलविद्युत बांधों के निर्माण की योजना बनाई है जिनमें पहला मैनवान बांध 1996 में पूरा हुआ.