16 नवंबर 2011
जम्मू: तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने बुधवार को कहा कि चीनी सैनिकों द्वारा चीन-भारत सीमा पर घुसपैठ रोज की बात है और चीन जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में मौजूदा सीमा को नहीं मानता।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर के अखनूर क्षेत्र में एक बौद्ध स्थल में आयोजित फोटो प्रदर्शनी से इतर कहा कि आप देख रहे हो कि चीनी सरकार कभी नहीं मानना चाहती कि यह मौजूदा सीमारेखा (लद्दाख में भारत और चीन के बीच) है और अरुणाचल प्रदेश में भी ऐसा है। वे लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना की ओर से घुसपैठ की खबरों पर और क्षेत्र में सीमा को लेकर चीन के नजरिये के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि ये हमेशा रोज की बात है। दलाई लामा ने चीन में किसानों और मजदूरों की नाराजगी का भी जिक्र किया जहां वे विरोध प्रदर्शन और हड़ताल करते हैं। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर उसे (चीन को) कानून व्यवस्था वाले लोकतांत्रिक समाज की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मूल तौर पर भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और यह धीरे-धीरे आर्थिक रूप से भी बढ़ रहा है, लेकिन चीन गणराज्य लोकतांत्रिक देश नहीं है।
क्या भारत ने तिब्बत पर अपना रुख नरम कर लिया है, इस बारे में पूछे जाने पर दलाई लामा ने सीधा उत्तर नहीं दिया। उन्होंने कहा कि इस साल मार्च में मैंने चुने हुए नेतृत्व को सभी किस्म की राजनीतिक जिम्मेदारी सौंप दी।
उन्होंने कहा कि न केवल मैंने अवकाश लिया है बल्कि दलाई लामा के प्रशासन की करीब चार सदी पुरानी परंपरा अब समाप्त हो गई है, जो तिब्बत की आध्यात्मिक व राजनीतिक व्यवस्था को संभालती है। मैंने स्वेच्छा से, खुशी से और गर्व के साथ इस परंपरा का समापन किया। बेहतर होगा कि यह सवाल आप राजनीतिक नेतृत्व से पूछें।
दलाई लामा ने कहा कि भारत का अहिंसा का संदेश इस संसार में अलग-अलग संस्कृतियों व समुदायों के बीच एकता व भाइचारे को बढ़ावा देने के लिए बहुत प्रासंगिक है। (भाषा)