हरिभूमि न्यूज़, 16 मई 2015
हरिभूमि न्यूज़, भोपाल : वैसे तो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मायनों मे महात्वपूर्ण है। इस यात्रा से भोपाल में वसे कई तिब्बती लोगों की उम्मीदें हैं। इस संबंध में शुक्रवार को भारत-तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय महामंत्री डाॅ. शिवेन्द्र प्रसाद ने कहा कि, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की त्रिदिवासीय चीन यात्रा में तिब्बत की स्वतंत्रता के मुद्दे को भी गंभीरता से उठाएं, साथ ही तिब्बत के प्रति भारतीय समाज का नजरिया बताएं। परम पावन दलाई लामा अपने देश जा सके, इसके लिए नरेन्द्र मोदी चीन से बात कर उनकी मदद करें। इसके साथ ही जैसे चीन को सुरक्षा परिषद् में स्थाई सदस्यता प्राप्त करने में भारत ने मदद की थी, ठीक उसी प्रकार चीन भी सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थाई सदस्यता प्राप्त करने में मदद करें।
चाइना सेंट्रल टेलीविजन द्वारा भारत का खंडित मानचित्र दिखाया जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि, सच तो यह है कि चीन भारत का कभी पड़ोसी देश रहा ही नही है सही मायने में भारत का पड़ोसी देश तिब्बत रहा है। वे कहते हैं कि, वर्तमान में चीन के साम्राज्यवादी नीति के तहत तिब्बत चीन का उपनिवेश है। यह मिथक है कि भारत और चीन के साथ सीमा विवाद है वस्तुतः विवाद तिब्बत और चीन को है। सच्च तो यह है कि अपने साम्राज्यवादी नीति के तहत चीन ने जो 1962 में भारतीय भूखण्ड पर जो कब्जा किया है, उसे चीन भारत को यथाशीघ्र लौटाए। मंच मानता है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है और रहेगा। चीन अरुणाचल प्रदेश में रह रहे भारतीय नगरिकों को सादे कागज पर बीजा देना यथाशीघ्र बंद करे। चीन द्वारा तिब्बत में परमाणु कचरा डाले जाने के कारण दक्षिण एशिया में आने वाले आण्विक संकट से भी भारत कि 125 करोड़ जनता कि और से भारत सरकार चीन सरकार को अवगत कराए कि इससे दक्षिण एशिया में जैवविविधता संकट से लोग जूझने लगे है। मंच को विश्वास है कि प्रधानमंत्री की यह यात्रा सफल होगी और एशिया महादेश में जो अशांति फैली है, उसे शांत करने में यह दोनो देश अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।