दैनिक जागरण, 3 फ़रवरी 2014
गुवाहाटी। तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा है कि हिंसा के तौर पर तिब्बत चीन से आजादी नहीं चाहता है। खुद को भारत का बेटा बताते हुए दलाई लामा ने कहा कि चीन के कुछ कट्टरपंथी कम्युनिस्ट नेताओं के कारण तिब्बत की सांस्कृतिक विरासत खतरे में है।
रविवार को गुवाहाटी में एक कार्यक्रम में दलाई लामा ने कहा, ‘अहिंसक तरीके से न तो एकतरफा जीत मिल सकती है और न ही एकतरफा हार। इसके बाद टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी और इससे हिंसा भड़क सकती है। इस विश्वास के साथ तिब्बती चीन से आजादी नहीं चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि तिब्बती संस्कृति को वास्तव में खतरा है। चीन के कुछ कट्टरपंथी कम्युनिस्ट नेता तिब्बती संस्कृति पर कई प्रतिबंध लगा रहे हैं। हालांकि दलाई लामा ने यह भी कहा कि चीन की आम जनता तिब्बत की सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने को लेकर धीरे-धीरे चिंतित हो रही है। इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा कि असम और तिब्बत की संस्कृति समान रूप से शांति की भाषा बोलती है। उन्होंने कहा कि तिब्बत और असम के लोग आपस में भाई हैं और मैं भगवान बुद्ध में दृढ़ विश्वास रखता हूं।