तेजपुर, 3 सितंबर, 2012
तेजपुर, 3सितंबर । चीन भारत का शत्रु है। चीन जैसा शकितशाली देश भारत को अपनी प्रतिद्वंदी शाकितशाली देश मनता रहा है। इसी कारण भारत की सीमा के नजदीक चीन ने सड़क निर्माण, रेलवे लाइन एवं हैलीपैड आदि बना रखे हैं। लेकिन इसके विपरीत सन 1950 में भारतीय संसद में सर्वसम्मति से निर्णय लिया था कि चीन को भारत की एक इंच भी भूमि दखल नहीं करने देंगे। लेकिन भारत द्वारा इस ओर कड़ार्इ से कोर्इ कदम नहीं उठाया गया। 1962 में चीन-भारत के युद्ध में शहीद हुए अमर जवानों की स्मृति में तेजपुर के वाणथिएटर हांल में आयोजित एक समारोह में भाग लेते हुए हिमालय विश्वविधालय के प्रोफेसर तथा भारत तिब्बत समन्वय संस्था के सभापति कुलदीप अगिनहोत्री ने अपने भाषण में यह मंतव्य व्यकित किया। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि चीन के साथ भारत भी निशिचत अंतरर्राष्ट्रीय सीमा नहीं है क्योंकि चीन तथा भारत के मध्य में तिब्बत पड़ता है।
भारत की भूल के कारण ही आज तिब्बत पर चीन ने कब्जा जमा रखा है। इस कारण चीन भारत का सीमावसी देश बन गया है, तिब्बत पर कब्जा करने के पश्चात चीन का लक्ष्य नेपाल, भूटान, सिकिकम एवं अरुणाचल प्रदेश आदि तक विस्तार करने का है। लेकिन चीन अभी तक इसमें सफल नही हो सका है। फिर भी उसने इन क्षेत्रों में अपनी वस्तुओं को काफी कम मूल्यों पर बेच कर वहां के व्यापार पर कुछ हद तक कब्जा जताना शुरू कर दिया है। डन्होंने कहा कि भारत को इस क्षेत्र में अभी से सचेष्ट हो जाना चाहिए अन्यथा आने वाले समय में चीन भारत के लिए पकिस्तान से भी अधिक खतरनाक देश साबित होगा।