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धर्मशाला। तथाकथित तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के ड्रिरू काउंटी, नागचू में कई तिब्बती चीन द्वारा
तिब्बतियों को गैरकानूनी तरीके से कारावास में डालने की नीति के नवीनतम शिकार बन गए हैं। गिरफ्तारियां अप्रैल 2021 में हुईं और इसकी जानकारी तब हुई, जब एक तिब्बती ग्याजिन की पहचान की गई है। उस समय गिरफ्तार किए गए अन्य तिब्बतियों के नाम ज्ञात नहीं हैं। चीनी अधिकारियों ने चार बच्चों के पिता 44 वर्षीय ग्याजिन को निर्वासन में रह रहे तिब्बतियों से बात करने के कारण गिरफ्तार कर लिया। ग्याजिन मेरी (མེ་རི་) गांव, त्सला (ཙྭ་ལ་) टाउनशिप, ड्रिरू काउंटी, नाग्चु प्रिफेक्चर के रहनेवाले हैं। सूत्रों के अनुसार, ग्याजिन अक्सर अन्य तिब्बतियों को तिब्बती भाषा के अध्ययन और संरक्षण और एक-दूसरे के बीच एकता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करते थे। उन्होंने नाजुक तिब्बती पर्यावरण के संरक्षण को भी बढ़ावा दिया। पिछले एक दशक में, चीनी शासन के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों ने ड्रिरू काउंटी को उन क्षेत्रों में से एक बना दिया है, जहां चीनी शासन के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन हुए हैं। इसलिए, यहां पर सुरक्षा विशेष रूप से कड़ी है और क्षेत्र के अंदर की स्थिति के बारे में जानकारी मिलना मुश्किल है। क्षेत्र में व्यापक निगरानी के कारण ड्रिरू से तिब्बत के बाहर तत्काल समाचार प्राप्त करना अत्यंत कठिन है।
ड्रिरू से रिपोर्ट की गई ताजा खबर कुंचोक जिनपा की मौत थी, जो चीनी जेल में यातना के कारण काल के गाल में समा गए। अगस्त 2020 में ड्रिरू काउंटी में ही तीन बच्चों की 36 वर्षीया मां ल्हामो की भी चीनी हिरासत में यातना के कारण मृत्यु हो गई। चीनी नीतियों के विरोध में वर्षों से विरोध प्रदर्शन ड्रिरू प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है और अपने यार्त्सा गुनबू (कैटरपिलर कवक) संग्रह के लिए जाना जाता है जो अधिकांश स्थानीय तिब्बतियों के आय का मुख्य स्रोत बन गया है। तिब्बती स्वतंत्र रूप से यार्त्सा गुनबू के संग्रह में हाल ही में संलग्न हुए हैं। क्योंकि चीनी अधिकारियों ने इस उत्पाद को इकट्ठा करने की अवधि को 15 मई से 30 जून 2021 तक केवल एक महीना 15 दिनों की अवधि के लिए सीमित करने वाले नियमों का एक नया सेट तैयार कर दिया है। स्थानीय अधिकारी भी तिब्बती असंतुष्टों को इस अवधि के इतर यार्त्सा गुनबू संग्रह करने से मना कर दंडित करने के साधन के रूप में इस नियम का उपयोग करते हैं। ड्रिरू एक ऐसा क्षेत्र रहा है जिसने कई वर्षों से लगातार चीनी सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध किया है।
2010 में एक बांध बनाने के लिए आने का दावा करते हुए चीनी श्रमिकों को ड्रिरू लाया गया था, लेकिन वास्तव में उन्हें ड्रिरू के खनिज समृद्ध पवित्र नागल्हा दज़ांबा पर्वत पर खनन गतिविधियों में लगाया गया था। स्थानीय तिब्बतियों ने खनन का विरोध किया और अधिकारियों ने काम रोकने पर सहमति भी जता दी। मई 2013 में जब चीनी-सरकार से संबद्ध खनिक फिर से पवित्र पर्वत का दोहन करने के लिए आए, तो 4500 से अधिक तिब्बती खनन का विरोध करने के लिए एकत्र हो गए और विभिन्न चीनी सरकारी कार्यालयों में याचिकाएँ भी दायर कर दीं। हालांकि खनन विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने वाले कई तिब्बतियों को बाद में गंभीर परिणाम भुगतने पड़े। इसके अतिरिक्त, स्थानीय सरकार ने एक राजनीतिक पुन: शिक्षा अभियान लागू करने का प्रयास किया। इसके तहत विशेष रूप से तिब्बतियों को अपनी छतों पर चीनी झंडे फहराने के लिए मजबूर किया गया। इस आदेश ने समस्या को और बढ़ा दिया क्योंकि स्थानीय लोगों ने इसका पालन करने से इनकार कर दिया। इसके परिणामस्वरूप अधिक विरोध- प्रदर्शन हुए और अधिक गिरफ्तारियां हुईं।
2013 के अंत में चीनी अधिकारियों ने क्षेत्र में बड़ी संख्या में चीनी सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया। बाद के वर्षों में, स्थानीय अधिकारियों ने पहले के विरोध- प्रदर्शनों में भाग लेने केसंदेह वाले तिब्बतियों को गिरफ्तार करना जारी रखा। चीनी अधिकारियों के मुख्य निशाने पर वे तिब्बती लोग भी थे, जिन पर ड्रिरू में घट रही घटनाओं के बारे में जानकारी तिब्बत के बाहर भेजने का संदेह था।