चीन ने तिब्बत के एक दूर दराज काउंटी
को जोड़ने वाले महत्वाकांक्षी हाइवे के लिये तीन किलोमीटर 310 मीटर लंबी सुरंग के निर्माण का काम बुधवार को पूरा कर लिया। तिब्बत की यह काउंटी हिमालय क्षेत्र में भारतीय सीमा के पास है। चीन के सरकारी टीवी पर मजदूरों को इस मौके पर जश्न मनाते दिखाया गया।
बर्फ से ढंके गलोंगला पहाड़ से होकर गुजरने वाली इस सुरंग के निर्माण में दो साल से ज्यादा वक्त लगा। यह पहाड़ 3,750 मीटर ऊंचा है। मोतुओ काउंटी या मेतोक इस इलाके में एकमात्र कांउटी बच गई है , जहां हाइवे नहीं है। इस दुर्गम काउंटी का सामरिक महत्व है , क्योंकि यह अरुणाचल प्रदेश से लगी हुई है , चीन जिसके दक्षिण तिब्बत होने का दावा करता है। इसके अलावा यह एक ऐसी जगह है जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है। मेतोक काउंटी की आबादी करीब 11,000 है। यहां बर्फ और बारिश के चलते पर्वतीय मार्ग साल में नौ महीने तक बाधित रहता है। हिमालय की दक्षिणी ढलान पर स्थित मेतोक में अब 117 किलोमीटर लंबा हाइवे होगा जो इसे पास स्थित बोमी काउंटी से जोड़ेगा।
यह काम ऐसे वक्त में पूरा हुआ है जब चीनी प्रधानमंत्री वन च्या पाओ भारत के तीन दिनों के दौरे पर हैं। उनकी इस यात्रा को दोनों देश काफी अहम मान रहे हैं। इस यात्रा से दोनों देशों के रिश्तों के पटरी पर आने की उम्मीद जताई जा रही है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ साल में चीन ने अपने रेल , सड़क और हवाई यातायात को तिब्बत के पठार में मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर कोशिशें की हैं। चीन ने हिमालयी क्षेत्र में अपने बुनियादी ढांचे का बहुत ज्यादा विकास किया है। लेकिन यह कदम भारत के लिए चिंता का सबब बन गया है , क्योंकि इससे चीनी सैनिकों को सीमा पर तुरंत पहुंचने की सामरिक ताकत मिलती है। बहरहाल , चीन के इस कदम ने भारत को अरुणाचल प्रदेश में बुनियादी ढांचे का विकास करने के लिए प्रेरित किया है।