ड्रैगन वर्ष के पहले दो दिनों का जब गत 23 एवं 24 जनवरी को चीनी जनता उत्सव मना रही थी, चीनी पुलिस ने सैकड़ों तिब्बतियों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी जो तिब्बत के ड्रागो, सेरथार, नाबा, ग्यारोंग और अन्य पड़ोसी इलाकों में अपने बुनियादी अधिकार की मांग करते हुए शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। खबरों के अनुसार इस घटना में छह तिब्बती मारे गए हैं और करीब 60 लोग घायल हैं जिनमें से कर्इ की हालत गंभीर है।
इस तरह की वीभत्स कार्रवार्इ और तिब्बतियों के लगातार दमन की वजह से साल 2008 की व्यापक जनक्रांति के बाद तिब्बतियों में असंतोष और गुस्सा और बढ़ा है। तिब्बत पर आक्रमण के बाद चीन सरकार लगातार यह दावा करती रही है कि वह वहां सामाजिक स्वर्ग बनाना चाहती है। लेकिन तिब्बतियों को उनका बुनियादी अधिकार भी नहीं दिया जा रहा है, वहां के नाजुक पर्यावरण का विनाश किया जा रहा है, तिब्बती भाषा एवं संस्कृति को खत्म किया जा रहा है, वहां परमपावन दलार्इ लामा का चित्र रखना भी प्रतिबंधित है और तिब्बतियों को आर्थिक रूप से हाशिए पर ढकेला जा रहा है। तिब्बत एक तरह की घेरेबंदी से गुजर रहा है। विदेशियों को अब भी तिब्बत में जाने की इजाजत नहीं दी जा रही और समूचा इलाका वास्तव में एक तरह की अघोषित सैनिक शासन का सामना कर रहा है।
मैं चीनी नेतृत्व से आग्रह करता हूं कि वे तिब्बती विरोध प्रदर्शनकारियों और आत्मदाह करने वालों की पुकार को सुनें। आप हिंसा और हत्याओं के द्वारा कभी भी सिथरता कायम नहीं कर सकते और न ही इससे तिब्बतियों की वाजिब शिकायतों का समाधान हो सकता है। तिब्बत मसले के समाधान और वहां शांति लाने का एकमात्र रास्ता यह है कि तिब्बती जनता के अधिकारों का सम्मान किया जाए और उनसे बातचीत की जाए। जो भी व्यकित शांतिपूर्ण संवाद के प्रति गहरी प्रतिबद्धता रखता है वह तिब्बतियों के प्रति हिंसा को स्वीकार नहीं कर सकता और इसकी चीन के सभी लोगों और दुनिया भर के लोगों द्वारा कड़ी आलोचना की जानी चाहिए।
मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आहवान करता हूं कि वह तिब्बतियों के साथ खड़े हों और इस महत्वपूर्ण समय में तिब्बती जनता के बुनियादी अधिकारों के समर्थन में आवाज उठाएं। मेरा अनुरोध है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र तिब्बत में एक तथ्यान्वेषी दल भेजें और उस इलाके में अंतरराष्ट्रीय मीडिया को भी जाने की इजाजत दी जाए। चीन के नेताओं को यह जरूर जानना चाहिए कि ‘अपने परिवार’ के ही सदस्यों की हत्याएं करना अंतरराष्ट्रीय कानून और चीनी कानून का पूरी तरह से उल्लंघन है और इस तरह के कार्यों से चीन की नैतिक वैधता और अंतरराष्ट्रीय मामले में उनके रवैए के प्रति संदेह अधिक बढ़ेगा।
मैं तिब्बत के भीतर रहने वाले अपने भाइयों-बहनों से कहना चाहूंगा कि हमें आपकी पुकार पूरी तरह साफ और जोरों से सुनार्इ पड़ रही है। हम आपसे आग्रह करते हैं कि जरा भी हताश न हों और अतिवादी उपायों का सहारा न लें। हम आपके दर्द को महसूस करते हैं और आपके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। आप सब लोग हमारे दिल में हैं और हम आपके लिए हर रोज प्रार्थना करते हैं।
प्रिय तिब्बती जनता, मेरा आपसे अनुरोध है कि इस साल लोसार (तिब्बती नया साल) का उत्सव न मनाएं जो कि 22 फरवरी को पड़ रहा है। लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि कृपया इस मौके पर होने वाले बुनियादी धार्मिक रीति-रिवाज जैसे मंदिर जाना, अगरबत्ती जलाना और परंपरागत प्रार्थना जरूर करें।
तिब्बत में रहने वाले तिब्बती लोगों के प्रति समर्थन जताने के लिए मैं तिब्बती लोगोें और दुनिया भर के अपने मित्रों से अनुरोध करता हूं कि वे बुधवार, 8 फरवरी, 2012 को वैशिवक जागरण कार्यक्रम में हिस्सा लें। आइए चीन सरकार को एक साफ एवं जोरदार संदेश देते हैं कि निर्दोष तिब्बतियों के प्रति हिंसा और उनकी हत्या बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। मैं सभी लोगों से अनुरोध करता हूं कि इस जागरण कार्यक्रम में शांतिपूर्ण तरीके से अपने देश के कानून का पालन करते हुए और गरिमा के साथ शामिल हों।