दैनिक जागरण 10 जून, 2011
देहरादून, जागरण संवाददाताः तिब्बत का मिटना दुनिया के लिये भले ही कोई अहिमियत नही रखता हो, लेकिन यह स्थिति भारत को खतरे में डाल देगी। इसलिए जरूरी हो गया है कि चीन जिस भाषा में बात करता है, भारत भी उसका उस भाषा में जवाब दे। अन्यथा वह दिन दूर नही, जब चीन पूरे तिब्बत को निगलकर हिंदुस्तान के सिर पर सवार होगा। भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री ने दून के विशव संवाद केंद्र में यह बात पत्रकारों से कही। उन्होंने कहा कि 60 साल पहले चीन ने शक्तिबल से तिब्बत को गुलाम बनाया और अब पूरी ताकत से उसके सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषायी अस्तित्व को खत्म करने पर हुआ है। तिब्बती लड़कियों की शादी जबर्दस्ती चीनी लड़कों से कराई जा रही है, ल्हासा के तीनों विवि खंडहर मे तब्दीन कर दिए गए हैं।
प्रो. अग्निहोत्री ने कहा कि चीन तिब्बत की नदियों को हथियार की तरह भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है। बावजुद इसके भारत सरकार खमोश है। क्यों नहीं चीन के साथ होने वाली वार्ता में तिब्बत के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाता। होना तो यह चाहिए कि जब तक चीन अरूणाचल प्रदेश के लोगों को भारतीय पासपोर्ट पर वीजा नही देता, तब तक भारत भी चीनी कब्जे वाले तिब्बत के लोगों को चीनी पासपोर्ट पर वीजा देना बंद करे।
तिब्बतन वूमन एसोसिएशन की अध्यक्ष समकी ने कही कि चीन की प्लनिंग तिब्बतियों का अस्तित्व मिटाने की है। मंच के प्रदेश संयोजक जगदीश मल्होत्रा, हिमांशु अग्रवाल, तेंजिन आदि थे।