tibet.net / ब्रसेल्स।चीन के साथ संबंधों पर यूरोपीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल(डी-सीएन) ने सोमवार०६ मार्च को कोविड-१९ प्रतिबंध हटाए जाने के बाद अपनी पहली आमने-सामने की बैठक में तिब्बत पर ध्यान केंद्रित किया। यह भी हाल के दिनों में पहली बार है, जब प्रतिनिधिमंडल ने तिब्बत के वर्तमान घटनाक्रमों पर चर्चा करने का निर्णय लिया है।
प्रतिनिधि रिगज़िन जेनखांग, सैन फ्रांसिस्को स्थित गोल्डन गेट यूनिवर्सिटी लॉ स्कूल में सोमपोंग सुचरितकुल सेंटर फॉर एडवांस्ड इंटरनेशनल लीगल स्टडीज में सीनियर फेलो और क्रेड्डा के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ.वैन वाल्ट वैन प्रागऔर इरास्मस यूनिवर्सिटी रॉटरडैम के इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज (द हेग) में इनेक्वलिटी,सोशल प्रोटेक्शन एंड डेवलपमेंट (असमानता, सामाजिक संरक्षण और विकास) विभाग के प्रोफेसरएम.फिशर को इस मुद्दे पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था।
प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष सांसद रेइनहार्ड बुटिकोफ़र ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि हाल के दिनों में यूरोपीय संसद पूर्वी-तुर्किस्तान,हांगकांग और ताइवान की स्थिति पर अधिक ध्यान दे रही है। लेकिन तिब्बत की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। डेढ़ घंटे के विचार-विमर्श के दौरान सदस्यों को तिब्बत के ताजा घटनाक्रमों के बारे में जानकारी दी गई। इसमें तिब्बती पहचान को खत्म करने के उद्देश्य से इसके तीन प्रतीकों- भाषा, संस्कृति और धर्म को अपने में आत्मसात करने वाली चीन की नीतियों को लागू करना शामिल है। यह तिब्बत में सांस्कृतिक संहार के बराबर है। इसके अलावा तिब्बती बौद्ध धर्म का चीनीकरण, परम पावन दलाई लामा का उत्तराधिकार तय करने पर दावा और जबरन श्रम करवाने की घटनाएं शामिल हैं।
तिब्बत में बिगड़ती स्थिति को देखवक्ताओं ने यूरोपीय संघ से तिब्बत के लिए यूरोपीय संघ के विशेष प्रतिनिधि की नियुक्ति के द्वारा समर्थन बढ़ाने का आह्वान किया, जिसमें चीन से परम पावन दलाई लामा के दूतों के साथ एक ठोस बातचीत में शामिल होने का आग्रह किया जाना शामिल है। चीन-तिब्बत संघर्ष के शांतिपूर्वक समाधान के लिए अन्य बातों के अलावा तिब्बत को अधिकृत देश के रूप में मान्यता देना होगा। सम्मेलन में यूरोपीय संसद के सदस्यों, यूरोपीय संसद और यूरोपीय संघ के अधिकारियों, संसदीय सहायकों, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों और ब्रसेल्स स्थित तिब्बत कार्यालय के कर्मचारियों ने भाग लिया।