परमपावन दलाई लामा की आध्यात्मिक शक्ति और प्रभाव का ही प्रमाण है कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए तिब्बती और अन्य लोग भी उनसे सलाह मांग रहे हैं। चीन के वुहान शहर से चलकर अन्य अनेक देशों को यह महामारी अपनी चपेट में ले चुकी है। इस कोविड-19 बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है। तिब्बतियों को दलाई लामा ने सही सलाह दी है कि वे अपनी जीवनशैली में बौद्ध दर्शन के अनुरूप बदलाव करें। परस्पर सहयोग, करुणा, भावनात्मक लगाव तथा वैज्ञानिक तथ्यों पर विश्वास से हम इस महामारी को हरा सकते हैं। मानसिक और भावनात्मक इच्छा शक्ति को बढ़ाने के लिए उन्होंने तारा मंत्र का जाप करने का परामर्श दिया है। वैज्ञानिकों की राय भी यही है कि हम रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सादगीपूर्ण जीवन की राह पर चलें। तिब्बत के ताऊ क्षेत्र में चीनी अधिकारी कोरोना महामारी को फैलने से रोकने की जगह तिब्बतियों को प्रताड़ित करने में लगे हैं। विश्व समुदाय में वुहान की चर्चा दबाने के लिए चीन सरकार तिब्बतियों को ही संक्रमण फैलाने के तथाकथित आरोप में गिरफ्तार कर रही है।
तिब्बत में चीनी प्रशासन द्वारा तिब्बतियों का उत्पीड़न बढ़ता ही जा रहा है। पड़ोसी होने के नाते इससे भारत का चिंतित होना स्वाभाविक है। तिब्बत पर चीन के अवैध नियंत्रण से भारत में शांति, सुरक्षा, समृद्धि तथा स्वाभिमान को गंभीर खतरा है। भारत के 11 प्रांतों में लगभग 7000 किलोमीटर की साइकिल यात्रा के माध्यम से तिब्बत मुक्ति के सक्रिय समर्थक श्री संदेश मेश्राम ने सराहनीय संदेश दिया है। वह संदेश है-“तिब्बत की आजादी भारत की सुरक्षा”। साथ ही भारत तिब्बत मैत्री अमर रहे। उनकी 70 दिवसीय साइकिल यात्रा का कर्नाटक के मनगौड तिब्बती सेटलमेंट में समापन वास्तव में जोरदार संघर्ष की शुरुआत है।
निर्वासित तिब्बत सरकार के सिक्यांेग डा0 लोबसंग संग्ये पूरे भारत में गम्भीरतापूर्वक और प्रामाणिकता के साथ लोगों को बता रहे हैं कि तिब्बत मुद्दा भारत के लिए किस प्रकार महत्वपूर्ण है। इसी फरवरी में पुडुचेरी में निर्वासित तिब्बती संसद द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला में उन्होंने स्पष्ट किया कि तिब्बत समस्या का हल होते ही चीन सरकार तिब्बती क्षेत्र का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं कर सकेगी। पुडुचेरी के कार्यक्रम में विद्यार्थी वर्ग की सक्रिय भागीदारी और गणमान्य व्यक्तियों एवं तिब्बत समर्थक विभिन्न संगठनों के योगदान से साफ है कि तिब्बत की वर्तमान संकटपूर्ण स्थिति से संपूर्ण भारतीय समाज चिंतित है।
वास्तव में तिब्बत का सवाल अब अंतरराष्ट्रीय सवाल बन चुका है। अमेरिका में एक ब्रेकफास्ट परंपरा है। ऐसे ही अवसर पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तथा प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने अपील की है कि विस्तारवादी चीन सरकार तिब्बती धर्मगुरु पंचेन लामा को शीघ्र रिहा करे। पंचेन लामा एवं उनके परिजनों के बारे में चीन सरकार कुछ भी नहीं बताती। इस अवसर पर अन्य तिब्बती राजनीतिक बंदियों को भी रिहा करने की मांग की गई।
इसके विपरीत चीन सरकार भारतीय सीमा से सटे तिब्बती क्षेत्र में 600 से अधिक गाँव बसा आ रही है। इस उपनिवेशवादी योजना में सफल होते ही वह भारत के कई क्षेत्रों पर अपना दावा करेगी। इन गाँवों का उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए किया जाएगा। आज भी भारत का एक बड़ा क्षेत्र 1962 से ही चीन के अवैध नियंत्रण में है। भारतीय संसद का सर्वसम्मत संकल्प है कि भारतीय भू-भाग को चीन के अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाएगा। हम 14 नवंबर 1962 के इस संकल्प को पूरा करने के लिए भारत को शक्तिशाली बनाएंगे। इसके लिए तिब्बत समस्या का हल निकालना जरूरी शर्त है।
तिब्बत के साथ भारत के मजबूत संबंध प्रारंभ से जारी हैं। दलाई लामा तो भारत को गुरू तथा तिब्बत को चेला कहते हैं क्योंकि तिब्बत में बौद्ध दर्शन भारत से ही पहुँचा था। भारत और तिब्बत के संबंध परस्पर सहयोग एवं विश्वास पर आधारित हैं। इसी फरवरी में मणिपुर इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी तथा तिब्बती स्वास्थ्य संस्थान मेंत्सीखांग के बीच सहमति पत्र पर हस्ताक्षर इस का सबूत है। भारत सरकार के आयुष विभाग में शामिल सोवा रिग्पा चिकित्सा प्रणाली का अध्ययन एवं अस्पताल विश्वविद्यालय परिसर में प्रारंभ होगा। इसके लिए जमीन एवं अन्य समस्त संसाधन विश्वविद्यालय का है। संचालन की जिम्मेदारी मेंत्सीखांग के पास रहेगी। सोवा रिग्पा चिकित्सा प्रणाली का प्रारम्भ लगभग 3000 वर्षा पूर्व भगवान बु्द्ध द्वारा किया गया था। यह प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली व्यक्ति के शरीर के साथ ही उसके मन एवं बुद्धि को भी स्वस्थ रखती हैं।
दलाई लामा जी बार-बार भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के विकास पर जोर देते हैं। वे योग, प्राणायाम आदि को अपनाने पर भी जोर देते हैं। दिल्ली में फिर से चुनाव जीतने और सरकार बनाने पर मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल को बधाई देते हुए दलाई लामा ने उम्मीद जताई कि 2018 में दिल्ली सरकार द्वारा चलाया गया हैपिनेस करिकुलम जारी रहेगा। स्कूलों में इससे काफी लाभ हो रहा है। समाज में प्रसन्नता तभी आएगी जब छोटे बच्चे को हम प्रसन्न रहना सिखाएंगे। बच्चों का चैमुखी विकास हमारा निश्चय होना चाहिए।