१९४९ में चीन के तत्कालीन अध्यक्ष माओ ने घोषणा की थी कि- तिब्बत चीन की हथेली है और लद्दाख, नेपाल, सिक्किम, भूटान और नेफा उसकी अंगुलियां हैं।” विश्र्व में चीन ही एकमात्र ऐसा देश है जो बरसों तक सिक्किम को भारत के हिस्से के रूप में मान्यता देने से इंकार करता रहा। बीजिंग से खुले-आम घोषणा की जाती है कि अरूणाचल प्रदेश (जो कि पहले नेफा के रूप में जाना जाता था) चीन का हिस्सा है। २६ सितम्बर, १९५९ को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा चीनी प्रधानमंत्री को लिखे पत्र के अनुसार भारत की चालीस हजार वर्ग किलोमीटर भूमि (अक्साईचिन, लद्दाख के पांगोंग और दमचोक, हिमाचल प्रदेश में शिपकी दर्रा, स्पीति दर्रा और नीलंग-जाधंग का क्षेत्र; उत्तर प्रदेश में बाड़ाहोती का क्षेत्र, तथा अरूणाचल प्रदेश में खिंजेमने, शात्से, लोंगचू एंव मिगितुन क्षेत्र) चीन के कब्जे में हैं।
चीन के भारत विरोधी घोषित लक्ष्य
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