जागरण, 26 सितम्बर, 2012
मुख्य संवाददाता, धर्मशाला : निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसंग सांग्ये ने कहा है कि चीन की गलत नीतियों की वजह से ही तिब्बत में रह रहे लोगों को आत्मदाह करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जब तक चीन क्रूरतापूर्ण नीतियों पर अंकुश नहीं लगाता और मानवाधिकारों के प्रति सचेत नहीं होता, तब तक तिब्बत में शांति बहाल होना नामुमकिन है। उन्होंने बताया कि अभी तक 51 तिब्बतियों ने आत्मदाह का प्रयास किया, जिनमें से 41 की मौत हो चुकी है।
सांग्ये ने कहा कि इस आमसभा की बैठक में इस बात पर विचार करना जरूरी हो गया है कि किस प्रकार से अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर दबाव बनाकर चीन को मजबूर किया जाए कि वह क्रूरता की नीतियों को बदलने को मजबूर हो सके। इससे पूर्व तिब्बती संसद अध्यक्ष पेंपा सीरिंग ने बताया कि यह तिब्बती सरकार का यह दूसरा आमसभा का महाअधिवेशन है। इसका समापन 28 सितंबर को परमपावन दलाईलामा की दीर्घायु की प्रार्थना के साथ किया जाएगा।
इससे पूर्व नवंबर 2008 में दलाईलामा के निर्देश पर इस प्रकार के अधिवेशन का आयोजन किया था, ताकि तिब्बत में रह रहे तिब्बतियों की समस्याओं पर मंथन किया जा सके। इस बार का अधिवेशन तिब्बत में बढ़ रही आत्मदाह की घटनाओं पर किया जा रहा है। गौरतलब है कि आम अधिवेशन में विश्व के 432 तिब्बती प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इनमें से 48 ताइबानी व कुछ तिब्बती समर्थक चीन के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
अधिवेशन में तिब्बत में लगातार बढ़ रही आत्मदाह की घटनाओं की रोकथाम व चीन पर मनवाधिकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने को मंथन किया जा रहा है।