जागरण, 2 मई, 2012
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने कहा कि चीन पर मिसाइल छोड़ने की नहीं, बल्कि उसका सामान न खरीदने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर हम चीन का सामान खरीदना बंद कर दें तो उसे खुद ही घुटने टेकने के लिए लिए मजबूर होना पड़ेगा। हिमालय को बचाने के लिए तिब्बत, नेपाल, भूटान व भारत को एकजुट होकर मुकाबला करना होगा व इसके लिए तैयार रहना होगा। इंद्रेश कुमार बुधवार को धर्मशाला में ‘हिमालय पर बढ़ते खतरे’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि देशहित में यह जरूरी है कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व श्रीनगर में रेल लाइन बिछानी चाहिए। कहा कि हिमालय परिवार की ओर से भी केंद्र सरकार को पत्र व प्रस्ताव भेजकर दबाव बनाने का प्रयास किया जाएगा। बकौल इंद्रेश कुमार, तिब्बत में आत्महत्याएं ही नहीं हुई बल्कि लोगों ने देश के प्रति प्राण न्योछावर कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि विश्व में बहने वाली 16 हजार नदियों में से पांच हजार सिर्फ हिमालय से निकलती हैं और विश्व का सबसे बड़ा जलस्रोत भी हिमालय ही है। छह हजार पर्वत चोटियां व अन्य वनस्पति भी हिमालय में है।
यह धरती पूरी तरह से अध्यात्मिक है। इंद्रेश कुमार ने कहा कि चीन न्यूक्लीयर शक्ति बनना चाहता है। करमापा प्रकरण पर उन्होंने कहा कि उग्येन त्रिनले दोरजे के पीछे कोई एजेंसी तो अपना रोल अदा नहीं कर रही है, यह भी जांचने की जरूरत है। कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि यह सारा प्रकरण करमापा को उनके अनुयायियों से दूर करने का प्रयास हो। उन्होंने कहा कि करमापा ने भारत के कानून व न्यायप्रणाली का सम्मान करते हुए उसे स्वीकार किया और उसके अनुसार ही चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जांच में समय पर सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।