जेनेवा। ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी वैश्विक रिपोर्ट-2020 में चीन को कड़ी फटकार लगाते हुए उसे ‘मानव अधिकारों के लिए वैश्विक खतरा’ बताया है।
रिपोर्ट में तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान (चीनीरू झिंझियांग) और हांगकांग सहित चीनी शासन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों की एक गंभीर तस्वीर पेश की गई है, जिसमें सांस्कृतिक और धार्मिक विरासतों के बड़े पैमाने पर मनमाने ढंग से प्रतिबंध, निगरानी, अपना मत थोपना और उनका विध्वंस शामिल हैं।
देशों की सूची के तहत चीन और तिब्बत के बारे में रिपोर्ट में 2019 में तिब्बत में गंभीर मानवाधिकारों की स्थिति बताई गई है।
रिपोर्ट में चीनी अधिकारियों द्वारा तिब्बतियों की धार्मिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्त िकी स्वतंत्रता, आंदोलन और सभा करने पर जारी गंभीर प्रतिबंधों पर प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट में चीनी अधिकारियों द्वारा कानूनन अपने आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों की मांग कर रहे तिब्बतियों को गिरफ्तार करने और उन्हें प्रताड़ित करने के कानूनों का दुरुपयोग बताया गया है। रिपोर्ट में किन्हाई प्रांत में जमीन पर अतिक्रमण के दो मामलों का उदाहरण दिया गया है जहां चीनी अधिकारियों द्वारा बलपूर्वक भूमि कब्जों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए नौ तिब्बतियों को सजा सुनाई गई।
रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर विध्वंसात्मक अभियान के तहत याचेन गार मठ से बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों को के बलपूर्वक निष्कासन का उल्लेख किया गया है। निष्कासित भिक्षुओं और भिक्षुणियों को अब फिर से पुनर्शिक्षण शिविरों में रखा गया है।
रिपोर्ट में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में चीनी अधिकारियों द्वारा ‘चीनीकरण नीतियों’ की तेज गतिविधियों के बारे में बताया गया है, जिसके तहत राजनीतिक पुनरू शिक्षा ग्रहण करने की क्षमता का परीक्षण करने के लिए मठवासी भिक्षुओं व अन्य को एक वैधानिक परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है। तथाकथित राजनीतिक पुनरू शिक्षा कार्यक्रम का मुख्य मकसद अगले दलाई लामा के चयन के मामले में चीनी सरकार की नीतियों का समर्थन करने को लेकर वरिष्ठ धार्मिक लामाओं को तैयार करना है। तिब्बतियों के बुनियादी अधिकारों पर इन प्रतिबंधों और उल्लंघनों का परिणाम रहा है कि 2009 के बाद से अब तक तिब्बत में 154 तिब्बतियों ने मजबूर होकर आत्मदाह कर लिया है।
रिपोर्ट का हवाला देते हुए तिब्बत ब्यूरो जिनेवा के प्रतिनिधि छिमे रिनजिंग ने कहा कि नास्तिक चीन को लामाओं के पुनर्जन्म पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। अगले दलाई लामा के बारे में फैसला पूरी तरह से स्वयं वर्तमान परमपावन दलाई लामा और तिब्बती लोगों सहित तिब्बती धार्मिक प्रमुखों और आजाद दुनिया द्वारा किया जाएगा। चीन द्वारा अपनी नीतियों का समर्थन करवाने के लिए धार्मिक हस्तियों पर बल प्रयोग से केवल यह साबित होता है कि चीन को पता है कि इस मुद्दे पर उसके पास कहने के लिए कुछ भी नहीं है।
मानवाधिकारों के लिए चीन के वैश्विक खतरा बन जाने को स्वीकार करते हुए जिनेवा स्थित तिब्बत ब्यूरो में मानवाधिकारों के लिए विशेष प्रतिनिधि थिनले चुकी ने कहा कि चीन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार प्रणाली के मूल ढांचे सहित विश्व व्यवस्था को बदलने की कोशिश कर रहा है। चीन मानव अधिकारों सहित हर चीज को ‘चीनी चरित्र’ वाला बनाना चाहता है। यह समय है जब हम चीन के खिलाफ उठ खड़े हों और महान लोगों की दशकों की कड़ी मेहनत के बाद आकार लेनेवाली मानव अधिकार प्रणाली को खत्म करने के उसके इरादे को चुनौती दें।
चीन अगले दलाई लामा के चयन के लिए सरकार की नीतियों का समर्थन करने के लिए तिब्बत के वरिष्ठ धार्मिक हस्तियों को मजबूर कर रहा रू मानवाधिकार वॉच रिपोर्ट
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