निर्वासन में एक सूत्र का कहना है कि समूह तिब्बती धार्मिक नेताओं के जन्मदिन मनाने के लिए बनाया गया था।
Rfa.org / सांग्याल कुंचोक
०२जुलाई २०२२
तिब्बती सूत्रों का कहना है कि चीनी अधिकारियों ने इस महीने सिचुआन के एक तिब्बती आबादी वाले इलाके में लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘वीचैट’ पर तिब्बती धार्मिक नेताओं का सम्मान करने वाला एक समूह स्थापित करने के आरोप में एक तिब्बती व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है।
निर्वासन में रह रहे एक तिब्बती ने इस सप्ताह आरएफए को बताया कि कार्दजे (चीनी: गांजी) तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर के सिचुआन के सेर्शुल (चीनी:शिकू) काउंटी में रहने वाले ५७ वर्षीय लोत्से को चैट समूह बनाने के लिए जुलाई में हिरासत में लिया गया था। यह चैट समूह श्रद्धेय तिब्बती लामाओं का जन्मदिन मनाने के लिए निर्मित किया गया था।
स्थानीय संपर्कों का हवाला देते हुए और सुरक्षा कारणों से नाम न छापने की शर्त पर आरएफए के सूत्र ने कहा, ‘समूह में लगभग १०० सदस्य हैं जो तिब्बत के सभी हिस्सों से आते हैं।‘
सूत्र ने बताया कि चीनी अधिकारियों ने लोत्से द्वारा समूह के निर्माण को ‘गैरकानूनी’ करार दिया गया है।
सूत्र ने कहा कि दो पुत्रों के एकल पिता लोत्से को माना जा रहा है कि अब अधिकारियों ने सेर्शुल में कहीं हिरासत में रखा हुआ है। स्थानीय तिब्बतियों से उसके बारे में पूछताछ की गई और उसकी गिरफ्तारी से पहले स्थानीय लोगों पर पुलिस द्वारा दबाव डाला गया।
उन्होंने कहा, ‘चीनी पुलिस भी गिरफ्तारी से पहले उसके घर गई थी और सरकार की अनुमति के बिना ऐसा समूह बनाने के लिए उसे धमकी दी थी।‘
प्रतिबंधित जन्मदिन समारोह
सूत्रों ने आरएफए को पहले की रिपोर्टों में बताया कि सिचुआन के अधिकारियों ने २०२१ में ०६ जुलाई को निर्वासित आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का ८६वां जन्मदिन मनाने पर दो तिब्बतियों को गिरफ्तार किया था।
कर्ज़ेज़ के कायागलुंग शहर में एक सोशल मीडिया समूह का हिस्सा होने के संदेह में उम्र के चौथे दशक में चल रहे दंपति- कुंचोक ताशी और श्रीमती दज़ापो को हिरासत में लिया गया था। इन दोनों पति-पत्नी ने सोशल मीडिया पर दलाई लामा के जन्मदिन से संबंधित तस्वीरों और दस्तावेजों को प्रसारित किया और तिब्बती प्रार्थनाओं को पढ़ने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया।
दलाई लामा १९५९ में चीनी शासन के खिलाफ असफल तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह के बीच तिब्बत से निर्वासन में भारत भाग गए। चीन ने १९५० में ही स्वतंत्र हिमालयी देश तिब्बत पर कब्जा कर लिया था।
तिब्बतियों को दलाई लामा की तस्वीर रखने, उनके जन्मदिन के सार्वजनिक समारोह मनानेऔर मोबाइल फोन या अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से उनकी शिक्षाओं को प्रसारित करने पर अक्सर कठोर दंड दिया जाता है।
चीनी अधिकारियों ने तिब्बत और पश्चिमी चीन के तिब्बती आबादी वाले क्षेत्रों पर अपनी कड़ी पकड़ बनाए रखी, तिब्बतियों की राजनीतिक गतिविधियों और सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित कियाऔर तिब्बतियों को बिना केस चलाए कारावास में डाला, यातनाएं दीं और उनकी न्यायेतर हत्या तक करते रहे हैं।