कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया (सीजीटीसी-आई) ने २४ अगस्त–२०२३ को नई दिल्ली स्थितप्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीजीटीसी-आई के राष्ट्रीय संयोजक श्री आर.के. खिरमे के साथराष्ट्रीय सह-संयोजकों-श्री सुरेंद्र कुमार एवं श्री अरविंद निकोसे और क्षेत्रीय संयोजक श्री पंकज गोयल ने भाग लिया।
कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़- इंडिया (सीजीटीसी-आई) भारत में सक्रिय विभिन्न तिब्बत समर्थक समूहों (टीएसजी) का सर्वोच्च निकाय है। यह देश में तिब्बती मुद्दे का समर्थन करने वाले भारतीयों का छतरी संगठन है, जिसका काम तिब्बती मुद्दे के समर्थन में समन्वय, निर्देशन, योजना निर्माणऔर गतिविधियों को शुरू करना है।
प्रेस विज्ञप्ति:
कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया (सीजीटीसी-आई) ने चीनी सरकार को तिब्बत सरकार में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए दोषी बताने तथा परम पवन दलाई लामा के प्रधिनिधि के साथ बातचीत दोबारा शुरू करने के लिए : जी- २० के नेताओ पर दबाव डालने के लिए अनुरोध।
नई दिल्ली, (२४ अगस्त, २०२३)। कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज- इंडिया (सीजीटीसी-आई) भारत में सभी तिब्बत समर्थक समूहों (टीएसजी) का सर्वोच्च संगठन है। इसका कार्य तिब्बती मुद्दे के समर्थन के लिए समन्वय, निर्देशन, योजना और गतिविधियों को संचालित करना है।
कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज – इंडिया (सीजीटीसी-आई) ने जी-२० नेताओं से चीनी सरकार द्वारा तिब्बत में मानवाधिकार उल्लंघन पर तत्काल ध्यान देने की अपील की है। विशेष रूप से उन रिपोर्टों पर ध्यान देने की अपील की गई है जिसमें दस लाख से अधिक तिब्बती बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया गया है और तिब्बत में अनिवार्य आवासीय स्कूल प्रणाली में डाल दिया गया है। इस स्कूल नीति का उद्देश्य तिब्बत की सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई रूप को नष्ट करना है। ये आवासीय स्कूल चीनी कम्युनिस्ट विचारधाराओं और उनके द्वारा गढ़ी जा रही कहानियों के साथ राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं। तिब्बत एक स्वतंत्र राष्ट्र था, जो अभी चीन के अनिधिकृत और बलात कब्ज़े मे है।
तिब्बत अपने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारत की तरह ही लगातार चुनौतियों का सामना कर रहा है और चीनी सरकार द्वारा गंभीर मानवाधिकारों के हनन, सांस्कृतिक दमन और धार्मिक भेदभाव की रिपोर्टों के साथ यह एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। तिब्बतन का वर्तमान चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया है, जिस पर तत्काल विश्व के देशो को ध्यान देने और कार्रवाई करने की आवश्यकता है। कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज – इंडिया (सीजीटीसी-आई) का मानना है कि दुनिया के सबसे प्रभावशाली देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले जी-२० नेताओं को इन गंभीर मुद्दों पर ध्यान देने और समाधान करने की नैतिक जिम्मेदारी है।
अपने अधिकारों और पहचान के लिए तिब्बती लोगों के संघर्ष को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस क्षेत्र में नागरिकों को गायब कर देने, मनमाने ढंग से हिरासत में लेने और सांस्कृतिक रूप से अपना वर्चस्व कायम करने की घटनाए बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। सीजीटीसी-आई जी-२० नेताओं से इन अत्याचारों के खिलाफ एकजुट होने और सभी के लिए मानवाधिकार और सम्मान के सिद्धांतों को बनाए रखने का मांग करता है।
ऐसे समय में, जब जी–२० देशों के नेता ०९ से १० सितंबर को नई दिल्ली में आगामी शिखर सम्मेलन के लिए एकत्रित हो रहे हैं, सीजीटीसी–आई उनसे निम्नलिखित मांगों को प्राथमिकता देने का आग्रह करता है:-
कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज–इंडिया (सीजीटीसी–आई) मांग करता है:
१. मानवाधिकार उल्लंघन की तत्काल जवाबदेही :
- जी-२० नेताओं को तिब्बत में घोर मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जी-२०के सदस्य चीन को उत्तरदायी ठहराया जाए, जिसमें अनिवार्य आवासीय स्कूलों के माध्यम से तिब्बती बच्चों को निशाना बनाया जाना भी शामिल हो।
- मानवाधिकारों के हनन की रिपोर्टों में पारदर्शिता और स्वतंत्र जांच की मांग की जाए।
विश्व के राजनयिकों, मिडिया, बुद्विजीवियों और आमजनता को तिब्बत में प्रवेश की अनुमती हो।
२. परम पावन 14वें दलाई लामा का पुनर्जन्म
- इसकी घोषणा की जाए कि परम पावन दलाई लामा के पुनर्जन्म के संबंध में निर्णयों पर अंतिम अधिकार निर्विवाद रूप से और पूरी तरह से स्वयं परम पावन दलाई लामा और संबंधित अधिकारियों के पास है।
- जी- २० के नेतागण यह ऐलान करें कि कोई भी राष्ट्र, सरकार, जिसमें चीनी सरकार, संस्था या कोई भी व्यक्ति शामिल है, परम पावन दलाई लामा के पुनर्जन्म को मान्यता देने का अधिकार नहीं है।
३. तिब्बती बच्चों के अधिकारों का संरक्षण:
- अनिवार्य आवासीय स्कूलों के माध्यम से जबरन नस्लीय तौर पर विलय कर लिये गए दस लाख से अधिक तिब्बती बच्चों के अधिकारों के गंभीर उल्लंघन की कड़ी निंदा करे।
- जी-२० सम्मेलन की ओर से चीनी सरकार से उन सभी नीतियों को तुरंत बंद करने का आग्रह किया जाए, जो तिब्बती बच्चों के अद्वितीय सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई पहचान को बनाए रखने के अधिकार का उल्लंघन करती हैं। तिब्बत में चीनी अधिकारियों द्वारा लागू की गई आवासीय विद्यालय प्रणाली ने तिब्बत में तिब्बती बच्चों को अकथनीय पीड़ा और अपूरणीय क्षति पहुंचाई है। विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि बच्चों को उनके परिवारों से जबरन अलग कर दिया जाता है और उनकी अद्वितीय सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई पहचान को मिटाने के उद्देश्य से कार्यवाही चलाई जाती हैं।
४. परम पावन १४वें दलाई लामा के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की बहाली:
- जी-२० नेताओं से मांग है की चीन की सरकार पर कूटनीतिक दबाव बनाये की तिब्बत की समस्या के अंतिम समाधान के लिए परम पवन दलाई लामा के प्रधिनिधि से पुन संवाद शुरू कर तिब्बत का शांतिपूर्ण, रचनात्मक और परस्परिक स्वीकार्य समाधान का मार्ग प्रशस्त्र करे।
५. जी–२० शिखर सम्मेलन के एजेंडे में तिब्बत को एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में शामिल किया जाए:
- जी-२० नेताओं से मांग करते है कि तिब्बत को अतिमहत्वपूर्ण एजेंडा के रूप मे सम्मेलन के विचारथ शामिल किया जाये। सबों के लिए मानवाधिकार, उत्पीड़ित समुदाय, सांस्कृतिक संरक्षण और धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर सकते है।
६: कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – भारत मांग करता है की तिब्बत समास्या की शिखर सम्मेलन का केंद्रीय विषय और महत्वपूर्ण बिन्दू के रूप मे विचार के लिए सम्मलित किया जाये।
७: कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज़ – भारत: मांग करता है कि तिब्बत की समस्या की अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हुए विचार करे ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय तिब्बत मे न्याय, मानवाधिकार और स्थायी शांति का मार्ग पप्रशस्त्र सके