भारत तिब्बत संवाद मंच - दक्षिणी क्षेत्र के सदस्य
tibet.net
१० अगस्त, २०२१
०८ अगस्त २०२१। भारत-तिब्बत संवाद मंच की कोर कमेटी के सदस्यों ने कंट्री क्लब, बेगमपेट, हैदराबाद में दक्षिण क्षेत्र समन्वय बैठक का आयोजन किया था। इस बैठक में दक्षिण के छह राज्यों- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल के प्रतिनिधियों के साथ ही स्थानीय समर्थक भी शामिल हुए।
बैठक का आयोजन चीनी कम्युनिस्ट नीति के विरोध के लिए और अधिक ऊर्जा को इकट्ठा करने, इसकी गति को और तेज करने और विस्तार देने के इरादे से किया गया था। चीन भारतीय सीमा में अवैध सैनिक घुसपैठ कराने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की राह में कुआं खोदने की कोशिश कर रहा है।
बैठक में मुख्य अतिथि तेलंगाना के दुबाका क्षेत्र से विधायक श्री एस. रघुनंदन राव; आरएसएस के तेलंगाना प्रांत प्रचारक श्री देवेंद्रजी; स्वामी नारायण गुरुकुल के मुख्य समन्वयक जसमत पटेल; भारत-तिब्बत संवाद मंच दक्षिणी क्षेत्र के अध्यक्ष पी. चंद्रशेखर; भारत-तिब्बत संवाद मंच के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. संजय शुक्ला; संत परिपूर्णानंद स्वामी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
बैठक का आयोजन रिएल फूड लिमिटेड के अध्यक्ष और भारत तिब्बत-संवाद मंच के अंतरराष्ट्रीय संयोजक तथा दार एस. सलाम, तंजानिया के सत्यनारायण पिट्टाला के नेतृत्व में तीन सत्रों में किया गया था। श्री सत्यनारायण ने इस अवसर पर जोर देकर कहा कि चीन को उसके उत्पादों में आर्थिक विनिवेश को रोककर और विकसित देशों में आर्थिक पक्षाघात पैदा करने के चीन के छिपे हुए कठोर एजेंडे के बारे में उचित जानकारी का प्रचार-प्रसार करके ही रोका जा सकता है। इसलिए, उन्होंने आगे कहा कि उनकी कंपनी ने इस मुद्दे को उठाने का फैसला किया है जिससे चीनी कम्युनिस्ट शासन के वित्तीय बाजारों में बाधा आ सकती है।
दुबाका से माननीय विधायक श्री. रघुनंदन राव ने प्रतिभागियों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि सभी को चीनी नीतियों के खिलाफ विरोध को मजबूती प्रदान करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। ये चीनी नीतियां केवल स्वार्थ के साथ तैयार की गई हैं और मानवता और सह-अस्तित्व के मूल्यों की अवहेलना कर रही हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि दक्षिण भारत के लोगों को इस विरोध को दर्ज करने में पीछे नहीं रहना चाहिए और चीन ने पहले तिब्बत के भाग्य के साथ अब हांगकांग, ताइवान और अन्य देशों के साथ जो किया है, उसके बारे में उचित जानकारी प्रसारित करने के लिए दक्षिणी राज्यों के दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचना चाहिए।
संत परिपूर्णानंद स्वामी जी ने कैलाश पर्वत की अपनी व्यक्तिगत यात्रा और चीनी सेना द्वारा इसके नियंत्रण की दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता के बारे में बताया। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह दिन दूर नहीं जब भारतीय एक बार फिर तिब्बत को मुक्त कराकर तीर्थयात्रा के लिए कैलाश जा सकते हैं। इस बात के लिए उन्होंने सभी प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे सत्य की इस लौ को जीवित रखें जो अन्याय और झूठ के जाल को नष्ट कर सकती है। बैठक में छह दक्षिण भारतीय राज्यों के प्रतिनिधियों सहित दो सौ से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।