दलाई लामा के राजनीतिक प्रमुख पद से हट जाने के बाद चीन के लिए समस्या और गंभीर हो जाएगी. वह पुराने लामा की जगह नया लामा बनाकर तिब्बतियों को अपने प्रभाव में लाने में लगा था. करमापा लामा को चीन से प्रभावित बताया जाता है।
सरल , आत्मीयतापूर्ण प्रसन्न व्यक्तित्व के धनी तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने सक्रिया राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी. इसके बाद वे केवल धर्मगुरु बने रहेंगे . उन्होंने कहा कि 1960 से वे लगातार जोर दे रहे है कि तिब्बती लोगों को एक ऐसे नेता की जरुरत है जो उनके द्वारा स्वतंत्र रुप से निर्वाचित हो और जिसे वे अपने अधिकार दे सकें . अब समय आ गया है कि इसे लागू किया जाए. तिब्बतियों के लिए चार्टर बनाने के लिए आवश्यक संशोधन करने का वे तिब्बती संसद में प्रस्ताव रखेंगे, जिसका सत्र 14 मार्च से शुरु होने वाला है। 75 वर्षीय दलाई लामा देश -विदेश में अत्यंत सम्मानित हस्ती है। दुनिया भर में उनके अनुयायी है। उनका जन्म 6 जुलाई 1935 को तिब्बत के टक्सर में हुआ. उनका मूल नाम लामो धोंडरुब था. 1938 में उन्हें दलाई लामा का 14 वां अवतार घोषित किया गया.1940 में उन्हें अधिकृत रुप से तिब्बतियों का सर्वाच्च धर्मगुरु दलाई लामा चुना गया. 1950 में उन्हें तिब्बत का राजनीतिक प्रमुख घोषित किया गया . 1950 में उन्हें तिब्बत का राजनितिक प्रमुख घोषित किया गया . तभी चीनी सेना ने तिब्बत में घुसपैठ की व भीषण अत्याचार किए. 1954 से 1956 के दौरान दलाई लामा ने चीन के सर्वेच्च नेता माओत्से तुंग तथा भारत के प्रधानमांत्री पं. नेहरु से भेंट की . 1959 में वे तिब्बत छोडकर भारत आ गए औऱ हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित सरकार बनाई .1988 में दलाई लामा को शांति को नोबल पुरस्कार प्रदान किया गाया. 2008 में तिब्बत में भारी हिंसाचार और दमन के बाद उन्होंने चीन से वार्ता की पेशकश की. दलाई लामा के राजनितिक प्रमुख पद से हट जाने के बाद चीन के लिए समस्या और गंभीर हो जाएगी. वह पुराने लामा की जगह नया लामा बनाकर तिब्बतियों को अपने प्रभाव में लाने में लगा था. करमापा लामा के चीन से प्रभावित बताया जाता है. जब तिब्बत की निर्वासित सरकार अपने नये राजनीतिक नेता का चुनाव करेगी तो नई अधिकार संपत्र ताकतें सामने आंएंगी . दार्जिलिंग के हार्वर्ड सत्रातक कलोन त्रिपा दलाई लामा के राजनितिक उत्तराधिकारी का स्थान ले सकते है. तिब्बत की निर्वासित सरकार के वर्तमान प्रधानमांत्री सामडोंग रिनपोछे का कार्यकाल आगामी चुनाव के साथ खत्म हो जाएगा। इसके बाद दलाई लामा अगले नेता को रजानीतिक अधिकार प्रदान करेंगे . यह देखना होगा कि तिब्बती संसद दलाई लामा के प्रस्ताव पर कैसा रुख अपनाती है. दलाई लामा के प्रस्ताव पर कैसा रुख अपनाती है. दलाई लामा के प्रस्ताव पर कैसा रुख अपनाती है. दलाई लामा ने कहा कि वे अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट रहे. वे जो कदम उठा रहे है उससे तिब्बतियों को आगे चलकर फायदा होगा।