बेंगलुरु। सीटीए के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग- के कालोन (मंत्री) नोरज़िन डोल्मा को तिब्बत, सीटीए और अन्य मामलों को लेकर एक संगोष्ठी को संबोधित करने के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। गुरुवार, १८ मई को बेंगलुरु में आयोजित इस संगोष्ठी में २५० से अधिक छात्रों और आरवी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज के ५० कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।
संगोष्ठी का सह आयोजन आरवी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज के मानवाधिकार प्रकोष्ठ और श्री निरंजन यू के नेतृत्व में भारत- तिब्बत मैत्री संघ द्वारा किया गया था।
कर्नाटक सरकार के वन, पर्यावरण और पारिस्थितिकी विभाग के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव आईएएस (सेवानिवृत्त) मदभुशी मदन गोपाल और कानून संस्थान के प्रिंसिपल प्रो. (डॉ.) अंजिना रेड्डी केआर आरवी उपस्थित विशिष्ट अतिथियों में शामिल थे।
संगोष्ठी के बाद कालोन नोरज़िन डोल्मा के नेतृत्व में सीटीए प्रतिनिधिमंडल ने लेफ्टिनेंट निजलिंगप्पा के भतीजे और निजलिंगप्पा नेशनल फाउंडेशन के सचिव श्री एसजी मंजूनाथ के साथ-साथ पूर्व सांसद, निजलिंगप्पा मेमोरियल ट्रस्ट, चित्रदुर्ग के सचिव श्री एच. हनुमानथप्पा और कर्नाटक सरकार के पीडब्ल्यूडी के सचिव डॉ़ के़ एस़ रेड्डी से मुलाकात की।
बाद में शाम को एचएसआर लेआउट, कालोन और सीटीए प्रतिनिधिमंडल ने कर्नाटक सरकार के पर्यावरण और वन विभाग के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव और सेवानिवृत्त आईएएस डॉ़ मदन गोपाल कृष्ण और कनार्टक सरकार के पूर्व मुख्य प्रधान वन संरक्षक (भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी) श्री किशन सिंह सुगरा से मुलाकात की।
बेंगलुरु / २० मई २०२३। सीटीए के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के कलोन (मंत्री) नोरज़िन डोल्मा ने १९ मई २०२३ को बेंगलुरु स्थित विश्वेश्वरपुरा कॉलेज ऑफ लॉ के संकाय सदस्यों और छात्रों को मुख्य अतिथि के तौर पर ‘मानवाधिकार और मानवाधिकारों के उल्लंघन’ विषयक सेमिनार में संबोधित किया। इस कार्यक्रम का आयोजन संस्थान के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन सेल (आईक्यूएसी) द्वारा बेंगलुरु और मैसूर स्थित भारत- तिब्बत मैत्री संघ (आईएफटीएस) के सहयोग से श्री निरंजन यू के नेतृत्व में किया गया था।
संगोष्ठी की अध्यक्षता लॉ कॉलेज के शासी परिषद के अध्यक्ष श्री बी़ एऩ लोकेश ने की और इसमें प्रिंसिपल डॉ सुधा जी, आईक्यूएएस समन्वयक डॉ़ संजीव के गौड़ा जी़ एस़ , समन्वयक विश्वप्रिया सी़ , संकाय सदस्यों और छात्रों ने हिस्सा लिया।
अपने मुख्य भाषण में कालोन नोरज़िन डोल्मा ने तिब्बत के भीतर विकट स्थितियों और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा तिब्बत की अद्वितीय सांस्कृतिक विरासत को मिटा देने के उद्देश्य से व्यवस्थित और दमनकारी नीतियों के क्रियान्वयन से श्रोताओं को अवगत कराया। उन्होंने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) की मध्यम मार्ग दृष्टिकोण की नीति के बारे में भी बात की, जिसे परम पावन दलाई लामा ने लंबे समय से चले आ रहे तिब्बत-चीन संघर्ष को हल करने के लिए दोनों पक्षों के लाभ की अवधारणा से परिकल्पित किया था।
संगोष्ठी को अन्य अतिथियों ने भी संबोधित किया। अंत में दक्षिण क्षेत्र के मुख्य प्रतिनिधि कार्यालय के प्रतिनिधि जिग्मे छुल्त्रिम ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि और कॉलेज के प्रशासकों के बीच सम्मान के प्रतीक के रूप में स्मृति चिन्ह का आदान-प्रदान भी किया गया।
२१ मई, २०२३, मैसूर। मैसूर में आधिकारिक तय कार्यक्रमों के तहत सीटीए के सूचना और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के कालोन (मंत्री) नोरज़िन डोल्मा ने दो शैक्षणिक संस्थानों- ‘एसबीआरआर महाजन लॉ कॉलेज’ और ‘विद्यावर्द्धक लॉ कॉलेज ऑन ह्यूमन राइट्स एंड इट्स रोल इन इंटरनेशनल रिलेशंस’ का दौरा किया और उन्हें संबोधित किया। इसके बाद उन्होंने भारत-तिब्बत मैत्री संघ (आईटीएफएस), मैसूरु के साथ रणनीति बैठक की और २० मई २०२३ को मैसूर में द शेनफेन चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा चलाई जा रही सामाजिक कल्याण पहल- तिब्बती सामुदायिक केंद्र (एमटीसीसी)- का दौरा किया।
सुबह कालोन ने सम्मानित अतिथि के रूप में एसबीआरआर महाजन लॉ कॉलेज के संकाय सदस्यों और छात्रों को राज्य स्तरीय संगोष्ठी में ‘मानव अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में इसकी भूमिका’ विषय पर संबोधित किया। इसमें मैसूर विश्वविद्यालय के कुलपति मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ. सी. बसवराजू ने भी अपने विचार रखे।
संगोष्ठी की अध्यक्षता महाजन एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष श्री टी. मुरलीधर भागवत ने की। संगोष्ठी में महाजन एजुकेशन सोसाइटी की सचिव डॉ. टी. विजयलक्ष्मी मुरलीधर, पूजा भागवत महाजन पीजी सेंटर के निदेशक डॉ. सी.के. रेणुकार्य और एसबीआरआर महाजन लॉ कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर प्रभुस्वामी एम.एम. के अलावा संकाय सदस्यों और कानून के छात्रों ने भाग लिया।
अपने संबोधन में कालोन ने १९५० में चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जे, तिब्बत के अंदर की स्थिति, औपनिवेशिक शैली के आवासीय स्कूलों में तिब्बती बच्चों के जबरन नामांकन और डीएनए नमूनों के संग्रह पर प्रकाश डाला। उन्होंने चीन-तिब्बत संघर्ष को हल करने के लिए सीटीए के मध्यम मार्ग दृष्टिकोण की भी व्याख्या की।
दोपहर में कालोन नोरज़िन डोल्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में ‘मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में इसकी भूमिका’ विषयक संगोष्ठी में अपना मुख्य भाषण दिया। इसमें उन्होंने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा शासित तिब्बत में मानवाधिकारों के उल्लंघन और परम पावन १४वें दलाई लामा द्वारा कल्पित और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन द्वारा अंगीकार की गई मध्यम मार्ग दृष्टिकोण के बारे में विस्तार से चर्चा की।
विद्यावर्धन लॉ कॉलेज के अध्यक्ष श्री गुंडप्पा गौड़ा ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की। संगोष्ठी में कॉलेज के सचिव श्री विश्वनाथ, कोषाध्यक्ष श्री श्रीशैल रामनवर, निदेशक प्रो.के.बी. वासुदेव, प्राचार्य डॉ. दीपू पी. और समन्वयक डॉ. बोरेगौड़ा सहित गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही।
महाविद्यालय के श्री पी.एम. चिक्काबोरैया सभागार में आयोजित इस संगोष्ठी में कॉलेज के संकाय सदस्यों और छात्रों समेत करीब ३०० लोगों ने शिरकत की।
दोनों आयोजनों में दक्षिण क्षेत्र में सीटीए के मुख्य प्रतिनिधि अधिकारी जिग्मे सुल्त्रिम ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
दोनों कॉलेजों में अपने संबोधन के बाद कालोन नोरज़िन डोल्मा ने आईटीएफएस मैसूरु टीम, संकाय सदस्यों और छात्रों के साथ तिब्बत एडवोकेसी रणनीतियों को मजबूत करने के संबंध में एक संवादापरक चर्चा की।
इसके अलावा कालोन ने कोर ग्रुप फॉर तिब्बतन कॉज-इंडिया के क्षेत्रीय संयोजक और एमटीसीसी के अध्यक्ष श्री जे.पी. उर्स से मुलाकात की। एमटीसीसी की स्थापना शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों में आवश्यक सेवाएं प्रदान करके स्थानीय तिब्बती समुदाय की सेवा करने के प्राथमिक लक्ष्य के साथ की गई थी।
ये सभी कार्यक्रम आईटीएफएस द्वारा संबंधित कॉलेजों के सहयोग से आयोजित किए गए थे।
इस बार की मैसूर यात्रा में कालोन के साथ दक्षिण क्षेत्र के मुख्य प्रतिनिधि अधिकारी जिग्मे सुल्ट्रिम, लुगसुम तिब्बती सेटलमेंट अधिकारी गुरु न्यिमा, दिक्यी लार्सो तिब्बती सेटलमेंट अधिकारी चेमी दोरजी, हुनसूर तिब्बती सेटलमेंट अधिकारी तेनजिंग धदोन, भारत-तिब्बत समन्वय कार्यालय के ताशी दिकी और सीआरओ स्टाफ के सदस्य बने रहे।